गजल (रहनुमा)
2122 2122 2122 2122
इस शहर मैं रस्मे-आमद लोग इस तरह निभाते हैं
हाथों मैं गुल होते नहीं और पत्थर लिए नजर आते हैं
तेरी सूरत मेरी सूरत से हसीं नहीं बताने को ये
आने वाले हर शख्स को वो आईना दिखलाते हैं
वो भी देख लें कभी गिरेवां मैं अपने झांककर यारों
दूसरों पे जो यूँ ही अक्सर उँगलियाँ ऊठाते हैं
मैं जो निकला हूँ सफर पे तो मंजिल पा ही लूँगा कभी
फिर क्यूँ मुझे मेरी मंजिल का पता बतलाते हैं
जाने किस भेष मैं सामने आ जाये कातिल कोई तेरा
बचके रहना कातिल भी यहाँ रहनुमा नजर आते हैं
( मौलिक एवं अप्रकाशित )
Comment
आ. सचिन भाई , ग़ज़ल का बहुत बेहतर प्रयास हुआ है , आपको बधाइयाँ ॥ आ. वीनस भाई का इशारा जरूर समझियेगा ॥
रदीफ़ काफिये का सुन्दर निर्वाह हुआ है ,,, शब्द अपने भाव को सम्रेषित करने में समर्थ हैं बस बहर को ले कर थोड़ी उलझन है वो भी जल्द ही दूर होगी
शुभकामनाएं
सचिन देव जी आपके मिसरे प्रदत्त बह्र में फिट नहीं होते कृपया दुबारा जांच लें ,अच्छी ग़ज़ल बन सकती है ,शुभकामनायें
आपने जिस बहर का जिक्र किया है उसमें यह अशआर किस तरह फिट बैठता है, कृपया स्पष्ट करने का कष्ट करें.
//इस शहर मैं रस्मे-आमद लोग इस तरह निभाते हैं
हाथों मैं गुल होते नहीं और पत्थर लिए नजर आते हैं//
सादर!
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online