बस्ते में रोटी भर लाया
बच्चा भी ये क्या घर लाया
होठों पे खुशियाँ धर लाया
वो बोले किसकी हर लाया
सोने चांदी सब नें मांगे
वो चिड़ियों जैसे पर लाया
इक तूफानी झोंका आया
जाने किसका छप्पर लाया
दुत्कारा लोगों नें उसको
जो धरती पे अम्बर लाया
काम के इंसा मैंने मांगे
वो बस्ती से शायर लाया
भुवन निस्तेज
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
आ. भुवन भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है , आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥
एक बात स्पष्ट करूँ आदरणीय भुवनजी, मैं क्यों कर की बात कर रहा हूँ. न कि क्या कर की. शायद पिछली बार क्या कर को क्यों कर पढ़ गया होऊँ. हो सकता है. फिरभी, क्या कर लाया बहुत संप्रेषणीय वाक्यांश नहीं है.
या, चूँकि मैं मतले का अर्थ स्पष्ट नहीं समझ पा रहा हूँ, आप कृपया मुझे वहाँ पहुँचायें जहाँ इस मतले का अर्थ है. शायद फिर मु्झे अर्थ सुलभ हो पायेगा.
सादर
आदरणीय Saurabh Pandey साहब स्नेह हेतु आभार.
मतले का उला ''घर से वो ये क्या कर लाया
बस्ते में रोटी भर लाया'' है. क्या कर के प्रयोग से अस्पष्टता है या क्यों कर के प्रयोग से या दोनों के कृपया मार्गदर्शन प्रदान करें. मैं मतले पर यथोचित श्रम करूँगा.
मकते पर मैं पुनर्विचार कर रहा हूँ ...
आभार...
//घर से वो ये क्या कर लाया
बस्ते में रोटी भर लाया//
सोने चांदी सब नें मांगे
वो //चिड़ियों जैसे पर// लाया
काम के इंसा मैंने मांगे
वो बस्ती से //शायर// लाया
इक तूफानी झोंका //आया//
जाने किसका छप्पर लाया
अच्छा प्रयास हुआ है गज़ल पर !
सोने चांदी सब नें मांगे
वो चिड़ियों जैसे पर लाया
काम के इंसा मैंने मांगे
वो बस्ती से शायर लाया.. .. वाह वाह !
इन दो शेरों के लिए बहुत बहुत बधाई.
वैसे, एक बात कहूँ, क्यों कर का सही अर्थ है कैसे. अब मतले को इस अर्थ के साथ देखें. शायद वह अस्पष्ट लगने लगे.
इसी तरह आखिरी शेर भी मेरे लिए अस्पष्ट रहा. इसके उला सानी में बह्र की नहीं मायने की अस्पष्टता लगी है.
इक तूफ़ानी वाले शेर में ऐब है.
सादर
आदरणीय Dr Ashutosh Mishra साहब, आप को कोटि नमन, कृपया इस्लाह देते रहें …
आदरणीय अरुन शर्मा 'अनन्त' जी मैंने तक्तीअ तो २२२२ २२२२ से कि है शायद कहीं भटक गयी हो, कृपया सलाह दे…
भुवन जी
सोने चांदी सब नें मांगे
वो चिड़ियों जैसे पर लाया
इस शे र के लिए तहे दिल बधाई सादर
कृपया ग़ज़ल की बह्र से अवगत करायें
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