उसे मजदूरी में जितने रूपये मिले थे उसकी रोटियाँ खरीदी और खाने के बाद दो रोटियाँ बचा ली, उसने सोचा कल पता नहीं काम मिले या नहीं, इतने में उसकी नज़र एक बच्चे पर पड़ी वो उन रोटियो की तरफ कातर दृष्टि से देख रहा था। उसे दया आ गई, उसने रोटियाँ उस बच्चे को दे दी।
उधर - एक आम मध्यमवर्गीय परिवार में शादी थी मेहमानों के चले जाने के बाद काफी खाना बच गया था इतना कि कम से कम 20 भूखे पेट भर सकते थे। मेजबान से पूछा गया इस खाने का क्या करें ? ……………?
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
आदरणीया डॉ प्राची जी आपका हार्दिक आभार जो आपने रचना को सराहा l मैं अक्सर भोजन को बर्बाद होते देखता हूँ, देश में इतनी मँहगाई और अनाज व पोषण की उपलब्धता मे कमी के बावजूद ऐसा होना कुछ अच्छा नहीं लगता है, बस मैं यही कहना चाहता हूँ अपने स्तर पर हर व्यक्ति अनाज की बर्बादी को कम करे भोजन का सही उपयोग करे ताकि ज़रूरतमंदो एवं गरीबों को भूखे न सोना पड़े।
आदरणीय मीना जी रचना की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार
कभी कभी किसी सवाल का जवाब ढूंढे से भी नही मिलता .... सुन्दर लघुकथा .. बधाई आ० शिज्जू जी
आदरणीय विजय सर आपने रचना के मर्म को समझा सराहा आपका बहुत बहुत शुक्रिया
आदरणीय जितेन्द्र भाई आपका हार्दिक आभार आपने रचना की मर्म को समझा
आदरणीय बृजेश जी मेरी रचना को समय देने के लिये आपका हार्दिक आभार
बहुत बढ़िया सवाल और संदेश। बधाई।
बढ़िया प्रश्न साझा किया आपने आदरणीय शिज्जू जी
महत्वपूर्ण प्रश्न!
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online