For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल :- कितने गडबड झाले हैं

ग़ज़ल :- कितने गडबड झाले हैं

कितने गडबड झाले हैं ,

और हम बैठे ठाले हैं |

 

तेल खेल ताबूत तोप में ,

घोटाले घोटाले हैं |

 

राजनीति अब शिवबरात है ,

नेताजी मतवाले हैं |

 

कलम की पैनी धार कुंद है ,

बाजारू रिसाले हैं |

 

बिकता नहीं साहित्य आजकल ,

विज्ञापन के लाले हैं |

 

सुई गड़ाकर दूह रहे सब ,

गोमाता को ग्वाले हैं |

 

क्या गाऊँ श्रृंगार की कविता ,

मुंह में सच के छाले हैं |

 

नहीं गये अँग्रेज़ आज भी ,

शासक लाठी वाले हैं |

 

न्याय की आँखों पर हैं पट्टी ,

मुंह पर भय के ताले हैं |

 

("बैठे ठाले "के लिये नवीन जी का आभारी हूँ ..अभिनव अरुण ११-०२-११)

 

Views: 392

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on February 18, 2011 at 1:18pm
शुक्रिया आर एन तिवारी और अश्वनी कुमार शर्मा जी |स्नेह बनाए रखिये |आभार |
Comment by R N Tiwari on February 17, 2011 at 10:05am
प्रियवर पाण्डेय जी,
अति  सुन्दर और सामयिक  रचना .बहूत बहूत बधाई.
Comment by ASHVANI KUMAR SHARMA on February 17, 2011 at 1:21am

 

अच्छी रचना बधाई 

 

Comment by Abhinav Arun on February 13, 2011 at 12:13pm
आदरणीय वंदना जी और श्री वीरेंद्र जी आपने रचना पसंद की आभारी हूँ |स्नेह बनाये रखिये लेखन को बल और उर्जा सकारात्मक आलोचनाओं से ही मिलती है |
Comment by Veerendra Jain on February 12, 2011 at 6:05pm

बिकता नहीं साहित्य आजकल ,

विज्ञापन के लाले हैं |

 

सुई गड़ाकर दूह रहे सब ,

गोमाता को ग्वाले हैं

 

ek aur behatarin gazal ke liye badhai..arun ji...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छः दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
21 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रस्तुति को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"किसी भोजपुरी रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्द्धन किया जाना मुझे अभिभूत कर रहा है। हार्दिक बधाई,…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Shyam Narain Verma replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर भोजपुरी ग़ज़ल की प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल : निभत बा दरद से // सौरभ

जवन घाव पाकी उहे दी दवाईनिभत बा दरद से निभे दीं मिताई  बजर लीं भले खून माथा चढ़ावत कइलका कहाई अलाई…See More
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service