दिल में उम्मीदों का चलता कारवाँ रखिये
हर अँधेरे के लिए कोई शमाँ रखिये
बज़्म में आ ही गए कुछ तो निशाँ रखिये
कुछ अलग अपना भी अंदाज़े बयाँ रखिये
रोज़ का मेहमाँ कोई मेहमाँ नहीं होता
शह्र के बाहर सही अपना मकाँ रखिये
देवता, बुत और पत्थर बन के रहते हो
कुछ तो इंसानों के जैसी ख़ामियाँ रखिये
ख्वाब जब होंगे नहीं तासीर क्या होगी
ख्वाब को अब तो सवार-ए-कहकशाँ रखिये
तीरगी को है मिटाती एक चिंगारी
हिज्र के आलम में भी वस्ले-गुमाँ रखिये
कब नजाने खुदकुशी ये गाँव कर लेगा
शह्र की ख़ुदग़र्ज़ियाँ गर दरमियाँ रखिये
अब भला सैयाद का डर क्यों रहे उनको
यूँ अगर ‘निस्तेज’ अपना पासबाँ रखिये
घर की बातें घर में ही रह जाये है अच्छा
शह्र के अख़बार को मत हमजुबाँ रखिये
भुवन निस्तेज
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीय Meena Pathak जी धन्यवाद...
आदरणीय शिज्जू जी स्नेह के लिए आभार...
मैं इस बात पर जानकारों की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में हूँ क्यों की ऑनलाइन सन्दर्भों में मुझे खामखाँ भी मिला है, कृपया जानकारों से अनुरोध है की इस पर सुझाए..
मुझे बहुत आनंद आया पढ़ कर क्यों कि मै गज़ल के शिल्प के बारे मे नही जानती | बहुत बहुत बधाई सुन्दर गज़ल हेतु
आ० शिज्जू जी की बात पर गौर कीजियेगा | सादर
//रोज़ का मेहमाँ कोई मेहमाँ नहीं होता
शह्र के बाहर सही अपना मकाँ रखिये
घर की बातें घर में ही रह जाये है अच्छा
शह्र के अख़बार को मत हमजुबाँ रखिये //बहुत खूब जनाब निस्तेज साहब बेहतरीन ग़ज़ल हुई है दिली दाद कुबूल करें।
एक बात की तरफ़ आपका ध्यान ज़रूर दिलाना चाहूँगा मतले में जो आपने खामखाँ शब्द का इस्तेमाल किया उसपे जानकारों की राय ज़रूर ले लें क्यूँकि जहाँ तक मैं जानता हूँ सही शब्द खामख्वाह है जिसे खामखा भी कहा जाता है लेकिन खामखाँ ज़रा संशय पैदा कर रहा है, मैं दावे के साथ नही बोल सकता कि मैं सही हूँ लेकिन यदि मैं सही हुआ तो फिर काफिया दोष हो जायेगा।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online