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मेरी साँसों में तुम ही हो,मेरा अन्दाज भी हो तुम

मेरी धडकन में हो तुम ही,मेरी आबाज भी हो तुम

मेरी साँसों में तुम ही हो,मेरा अन्दाज भी हो तुम 

यहाँ है अब तलक चर्चा हमारी ही मुहब्बत का

मगर मत भूल जाना तुम ,मेरे हमराज भी हो तुम

तुम्हारे ही निशाने पर रहा हूँ मैं हमेशा ही

कभी लगता है क्यों मुझको निशानेबाज भी हो तुम

कभी पल भर मैं ठहरा था, तेरी जुल्फों के साये मे
मुझे अहसास है अब तक ,मेरे सरताज भी हो तुम

गये लम्हों की कहकर थे ,कई अरसे गुजारे हैं

नहीं फिर लौटकर आये ,वहानेबाज भी हो तुम

उमेश कटारा

मौलिक एंव अप्रकाशित

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Comment by umesh katara on April 19, 2014 at 8:31pm

तहेदिल से शुक्रिया अरुन शर्मा जी 

Comment by umesh katara on April 19, 2014 at 8:31pm

तहेदिल से शुक्रिया सविता जी 

Comment by savitamishra on April 19, 2014 at 7:53pm

गये लम्हों की कहकर थे ,कई अरसे गुजारे हैं

नहीं फिर लौटकर आये ,वहानेबाज भी हो तुम.......bahut khubsurat

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 19, 2014 at 5:38pm

आदरणीय उमेश भाई जी बहुत ही खूबसूरत अशआर बन पड़े हैं बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by umesh katara on April 18, 2014 at 8:41pm

शुक्रिया गिरिराज जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 18, 2014 at 5:12pm

आदरणीय उमेश भाई , खूब सूरत ग़ज़ल के लिये आपको दिली बधाइयाँ !!

Comment by umesh katara on April 18, 2014 at 8:43am

दिल से शुक्रिया जितेन्द्र जी इस हौसलाअफजाई के लिये

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 18, 2014 at 8:42am

बहुत खुबसूरत गजल कही आपने आदरणीय उमेश जी

कभी पल भर मैं ठहरा था, तेरी जुल्फों के साये मे
मुझे अहसास है अब तक ,मेरे सरताज भी हो तुम

गये लम्हों की कहकर थे ,कई अरसे गुजारे हैं

नहीं फिर लौटकर आये ,वहानेबाज भी हो तुम...............बहुत सुंदर , दिली बधाई स्वीकारें

Comment by umesh katara on April 18, 2014 at 7:33am

शुक्रिया वेदिका जी कृपया त्रुटियों को स्पष्ट इंगित करें जिससे की अपेक्षित सुधार किया जा सके 

Comment by वेदिका on April 18, 2014 at 12:56am
अच्छे प्रयास के लिए शुभकामनाएं प्रेषित है आ0 उमेश जी! कंटक त्रुटियों की ओर ध्यान दें तो प्रयास में और भी इजाफा होगा।
सादर

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