मेरी धडकन में हो तुम ही,मेरी आबाज भी हो तुम
मेरी साँसों में तुम ही हो,मेरा अन्दाज भी हो तुम
यहाँ है अब तलक चर्चा हमारी ही मुहब्बत का
मगर मत भूल जाना तुम ,मेरे हमराज भी हो तुम
तुम्हारे ही निशाने पर रहा हूँ मैं हमेशा ही
कभी लगता है क्यों मुझको निशानेबाज भी हो तुम
कभी पल भर मैं ठहरा था, तेरी जुल्फों के साये मे
मुझे अहसास है अब तक ,मेरे सरताज भी हो तुम
गये लम्हों की कहकर थे ,कई अरसे गुजारे हैं
नहीं फिर लौटकर आये ,वहानेबाज भी हो तुम
उमेश कटारा
मौलिक एंव अप्रकाशित
Comment
तहेदिल से शुक्रिया अरुन शर्मा जी
तहेदिल से शुक्रिया सविता जी
गये लम्हों की कहकर थे ,कई अरसे गुजारे हैं
नहीं फिर लौटकर आये ,वहानेबाज भी हो तुम.......bahut khubsurat
आदरणीय उमेश भाई जी बहुत ही खूबसूरत अशआर बन पड़े हैं बहुत बहुत बधाई आपको
शुक्रिया गिरिराज जी
आदरणीय उमेश भाई , खूब सूरत ग़ज़ल के लिये आपको दिली बधाइयाँ !!
दिल से शुक्रिया जितेन्द्र जी इस हौसलाअफजाई के लिये
बहुत खुबसूरत गजल कही आपने आदरणीय उमेश जी
कभी पल भर मैं ठहरा था, तेरी जुल्फों के साये मे
मुझे अहसास है अब तक ,मेरे सरताज भी हो तुम
गये लम्हों की कहकर थे ,कई अरसे गुजारे हैं
नहीं फिर लौटकर आये ,वहानेबाज भी हो तुम...............बहुत सुंदर , दिली बधाई स्वीकारें
शुक्रिया वेदिका जी कृपया त्रुटियों को स्पष्ट इंगित करें जिससे की अपेक्षित सुधार किया जा सके
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