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नेता जी ( चौपई छंद )

डगमग डगमग गोते खाय , नाव चुनावी है मझधार !

हाथ धरे बैठे नेताजि   ,   नौका कैसे होवे पार  !!

 

कैसे जीतें युद्ध चुनावी ,  लगा हुआ नेता दरबार !

सबके सब भिड गय जुगत मैं, रेडी खड़े सभी लठमार !!  

 

भरा दिया पर्चा नेता का, भीड़ इकट्ठी हुई अपार !

लगा दिया फोटु भारी सा, होने लगा खूब परचार !!  

 

पर्चा भर नेताजी पहुँचे , परम प्रभू भोले के द्वार  !

परिक्रमा  नेताजी करते , डोक लगाते बारमबार !!  

 

मन मैं सिमर रहे नेताजि , हे भगवन कर दो उपकार ! 

बीस किलो का घन्ट चढाऊं , पार लगा दो अबकी बार !!

 

आगे बढ़ चले नेताजी , गले पहन  फूलों का हार !

पीछे पीछे गुर्गे चलते , करते जाते जय जयकार !!

 

खोल दिय मुख संदूकों के , नोट ले गये ठेकेदार !

मुरगा दारु रोज छानते , पतझड मैं आ गई बहार !!     

 

आ गया दिन वो भी देखो , लंबी लंबी  लगी कतार !

तक धिना-धिन नेता नाचे , ठपपे की जब पडती मार !!  

  

गिनती हुई आज मतों की , जीता कौन कौन की हार ! 

नेताजि  गिर पड़े धरा पर , हो गया उनका बन्टाधार !!

 

तेवर देख जनमानस के  , नेताजी हो गय लाचार !

क्यों रुठी जनता नेता से , उसपर करलो तनिक विचार !!     

 

महंगाई भी खूब बढ़ी  , और बढाया   भ्रष्टाचार  

घुटाले करने वालो को , खुदहि खा गया भ्रष्टाचार

 

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

 

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Comment by अरुन 'अनन्त' on April 23, 2014 at 11:40am

भाई सचिन देव जी प्रयास बहुत ही अच्छा है किन्तु अधपका है छंद आपसे श्रम की मांग कर रहा है थोड़ी जल्दबाजी कर दी आपने पोस्ट करने में बहरहाल प्रयासरत रहिये सुधार हो जायेगा. इस सद्प्रयास पर मेरी ओर से बधाई स्वीकारें.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 23, 2014 at 7:36am

गिनती हुई आज मतों की , जीता कौन कौन की हार ! 

नेताजि  गिर पड़े धरा पर , हो गया उनका बन्टाधार !!.................बेचारे नेता जी

बहुत सुंदर चौपाइयां रची आपने आदरणीय सचिन जी, हार्दिक बधाई स्वीकारें

Comment by Sachin Dev on April 22, 2014 at 12:24pm

भाई अनुराग सिंह जी आपका हार्दिक धन्यवाद ! 

Comment by Sachin Dev on April 22, 2014 at 12:23pm

आदरणीय अन्नपूर्णा जी, आपका हार्दिक धन्यवाद ! 

Comment by Sachin Dev on April 22, 2014 at 12:22pm

आदरणीय लछमन प्रसाद जी, प्रयास पर आपकी सराहना और त्रुटियों के प्रति सुझाव के लिए आपका हार्दिक आभार ! चूँकि इस छंद पर ये मेरा  पहला प्रयास था इसलिए कहीं कहीं मात्राएँ गिरी हैं जिन्हें आगे सुधारने का प्रयास रहेगा ! आपका हार्दिक आभार ! 

Comment by Sachin Dev on April 22, 2014 at 12:18pm

आदरणीय श्याम नारायण जी, आपका हार्दिक आभार ! 

Comment by Anurag Singh "rishi" on April 21, 2014 at 11:52pm

वाह बहुत उम्दा रचना

सादर

Comment by annapurna bajpai on April 21, 2014 at 8:55pm

वाह क्या खूब चौपई छंद , बहुत बधाई आपको । 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 21, 2014 at 6:47pm

सुन्दर और सामयिक भाव रचित चौपई के प्रयास के लिए हार्दिक बधाई | तथापि मात्रा गिनने के प्रयास में मात्राए कई जगह 

गिराने ने त्रुटियाँ उचित नहीं लग रही भाई सचिन देव जी | विद्वजनों की राय अपेक्षित है |

Comment by Shyam Narain Verma on April 21, 2014 at 3:53pm

सुंदर भाव लिए, उत्तम रचना के लिए बधाई ....

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