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ग़ज़ल - पहले वो कभी आज तक ऐसे मिला नहीं

२२११    २२१२    २२१२    १२

कैसी ये मुलाकात है कोई गिला नहीं

पहले वो कभी आज तक ऐसे मिला नहीं

 

हाँ बात वो कुछ और थी जब साथ हम भी थे

अब सिर्फ इत्तेफ़ाक है, अब सिलसिला नहीं

 

वो जब से गया मुझको जैसे साथ ले गया

ढूँढा तो बहुत खुद को पर अब तक मिला नहीं

 

कुछ दिन से मेरे शहर का मौसम है अनमना

गुमसुम हैं सभी बागबां, गुल भी खिला नहीं

 

किस्से तो सभी दर्द के सुनते रहे मगर

जो बाँट सके गम को वो मुझको मिला नहीं

 

नेकी जो करो शौक से दरिया में डाल दो

सब कुछ तो यहाँ मिलता पर अच्छा सिला नहीं

 

संजू शब्दिता मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by Satyanarayan Singh on May 22, 2014 at 10:33pm

किस्से तो सभी दर्द के सुनते रहे मगर

जो बाँट सके गम को वो मुझको मिला नहीं .... बहुत खूब 

हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया. 

Comment by sanju shabdita on May 22, 2014 at 8:46pm

आदरणीय सौरभ सर...लगातार चिल्ला चिल्लाकर बोलने से मुझे लगा कि थोड़े दिन चुप रहना चाहिए ..उसी का नतीजा है कि चुप चुप सी ग़ज़ल प्रस्तुत हुई . चूंकि ग़ज़ल चुप-चुप सी है सो काफ़िया विस्तार की मुझे अधिक छूट नहीं मिल सकी . मैंने कोशिस की थी पर मुझे ग़ज़ल के मूड के हिसाब से भर्ती के शेर लगे ,अतः मैंने यही निर्णय लिया की ग़ज़ल के मूड के हिसाब से ही काफिया लिया जाय ।इसे आप मेरी असमर्थता भी समझ सकते हैं ..आपकी सदाशयता एवं मार्गदर्शन हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद ॥सादर

Comment by sanju shabdita on May 22, 2014 at 8:32pm

आदरणीय Amod Kumar Srivastava जी आपका हार्दिक आभार


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 14, 2014 at 4:47pm

कठिन बह्र तो लिया है आपने, निभाया भी है. लेकिन काफ़िया को और फैलाव देना था. शेर भी आपकी ग़ज़ल के लिहाज से कुछ चुप-चुप से लगे.
बहरहाल अभ्यास क्रम में हमसब बहुत कुछ कहते हैं.
इस सतत रचनाधर्मिता के लिए हार्दिक बधाई

Comment by Amod Kumar Srivastava on May 2, 2014 at 7:26pm

अच्छी रचना बधाई स्वीकार करें .... 

Comment by sanju shabdita on May 2, 2014 at 6:17pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया कुन्ती जी

Comment by sanju shabdita on May 2, 2014 at 6:16pm

धन्यवाद आदरणीय जीतेन्द्र जी

Comment by sanju shabdita on May 2, 2014 at 6:16pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय उमेश जी

Comment by sanju shabdita on May 2, 2014 at 6:15pm

आदरणीय आशुतोष जी आपका हार्दिक आभार

Comment by coontee mukerji on May 2, 2014 at 3:18am

किस्से तो सभी दर्द के सुनते रहे मगर

जो बाँट सके गम को वो मुझको मिला नहीं....बहुत सुंदर.उम्मीदों के सहारे दुनिया टिकी है. हार्दिक बधाई.

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