छंद मदन/रूपमाला
(चार चरण: प्रति चरण २४ मात्रा,
१४, १० पर यति चरणान्त में पताका /गुरु-लघु)
मजदूर दिन
मजदूर दिन जग मनाता, शान से है आज।
कर्म के सच्चे पुजारी, तुम जगत सर ताज।।
प्रतिभागिता हर वर्ग की, देश आंके साथ।
राष्ट्र के उत्थान में है, हर श्रमिक का हाथ।१।
श्रम करो श्रम से न भागो, समझ गीता सार।
सोया हुआ भाग्य जागे, जानता संसार।।
श्रम स्वेद पावन गंग सम, बहे निर्मल धार।
श्रम दिलाता मान जीवन, श्रम प्रगति का द्वार।२।
अंबर खुला मजदूर का, होता इक वितान।
अवनी कठिन उसके लिए, सुमन सेज समान।।
त्यागता आराम जीवन, वह सृजन के हेतु।
धर्म ही है कर्म उसका. सफल जीवन सेतु।३।
-मौलिक व अप्रकाशित
Comment
निम्नवत संशोधित पंक्तियाँ पुनश्च अवलोकनार्थ सविनय सादर
प्रतिभागिता हर वर्ग की, देश आंके साथ।
राष्ट्र के उत्कर्ष में है, हर श्रमिक का हाथ।।
मार्गदर्शन हेतु सादर धन्यवाद आदरणीय
उद्योजकों वैज्ञानिकों, औ किसानों साथ .. इस पंक्ति में संज्ञाओं का बहुवचन रूप गलत ढंग से वर्णित हुआ है.
इस वाक्य में ’किसानों’ और ’साथ’ के बीच ’का’ का होना बनता था. कारक ’का’ न होने से उद्योजक, वैज्ञानिक और किसान का बहुवचन रूप भी यही रह जायेगा. न कि उद्योजकों, वैज्ञानिकों औ’ किसानों नहीं होगा.
आदरणीय, मेरा निवेदन यही था.
सादर
परम आ. सौरभजी सादर
निम्न पंक्तियों में व्याकरण के लिहाज से किये गये संशोधन के बारे में कृपया अपने विचारों से अवगत कीजिएगा.
उद्योजकों वैज्ञानिकों, औ किसानों साथ।
राष्ट्र के उत्थान में है, हर श्रमिक का हाथ।।
रचना को सराहने एवं उत्साहवर्धन तथा बधाई हेतु सादर आभार आदरणीय....
अंबर खुला मजदूर का, होता इक वितान।
अवनी कठिन उसके लिए, सुमन सेज समान।।
त्यागता आराम जीवन, वह सृजन के हेतु।
धर्म ही है कर्म उसका. सफल जीवन सेतु .... . बहुत खूब !
इस प्रस्तुति के लिए हृदय से बाइयँ, आदरणीय सत्यनारायणजी.
निम्नलिखित पंक्तियों को व्याकरण के अनुसार एक बार और देख लें आदरणीय.
उद्योगपति वैज्ञानिकों, औ किसानों साथ।
राष्ट्र के उत्थान में है, श्रमिक तेरा हाथ।
शुभ-शुभ
रचना सराहने एवं बधाई हेतु आपका ह्रदय से आभारी हूँ. आ. कल्पना जी
रचना सराहने एवं बधाई हेतु आपका ह्रदय से आभारी हूँ. आ. बहन सरिता जी
रचना पर आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया हेतु आपका आभारी हूँ. आ. कुंती जी
रचना सराहने एवं बधाई हेतु आपका आभारी हूँ. आदरणीय सुरेन्द्र कुमार जी
वाह,वाह, बहुत सुंदर!! एक नए छंद में, अनुपम रचना पढ़कर आनंद आ गया। बहुत बहुत बधाई आपको
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