For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक नज़्म - रतजगे

एक नज़्म

रतजगे

इक खयाल दिल मे उठा
रात के सन्नाटे मे
मेरी नींदों को उड़ाकर
क्या वो भी जागी है

मैं ही बुनता हूँ उसके
ख्वाब या फिर
मेरे ख़याल से
वाबस्ता वो भी है

मेरे अश्कों के लबों पे
है बस सवाल यही
उसके तकिये पे भी
थोड़ी सी नमी है कि नहीं

रतजगों से है परेशान
अब मेरा बिस्तर
उसने भी काटी है क्या
कोई शब जगकर

मेरे ज़ेहन के दरीचों से
झाँकती है सदा
वो भी पलकों पे मेरा अक्स
टाँकती है क्या


मैं उसकी याद के
दरिया मे पूरा डूबा हूँ
जिस्म से रूह तलक
बेहिसाब टूटा हूँ

टूटते ख्वाब सा खुद को ही
खलता रहता हूँ
बुझे चिराग सा दिन-रात
जलता रहता हूँ

हर ख़ुशी से
उदास होता हूँ
बस उसके ही
आस-पास होता हूँ


ये कैसा गम मिला
मेरे दिल को
दे हयात कोईं
दिले -बिस्मिल को

मांगता हूँ मै खुदा से
यही दुआ यारों
उसके दिल पे न
कोई सितम हो यारों


ये रतजगे ये तड़प
ये अश्क मेरे हिस्से हो
उसके होठों पे हर-पल
ख़ुशी के किस्से हो

फिराके-गम से बेखबर
वो चहचहाती रहे
कभी न हो आँख नम
वो बस मुस्कुराती रहे

जागती शब न हो
तकिये पे भी नमी न हो
ऐ खुदा उसको
किसी बात की कमी न हो

मेरा ख़याल उसको
रुलाये न कभी
उसकी आँखों मे इक
अश्क भी आये न कभी

बेतुके ये सब खयाल
समेट लेता हूँ
आँखों में उसके
सपने लपेट लेता हूँ

नींद कि परियों उसकी
पलकों पे जाकर बैठो
और मुझे उसके हिस्से
के रतजगे दे दो
--------------------------------------------------------
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 711

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Satyanarayan Singh on May 23, 2014 at 5:32pm

हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय 

Comment by Gajendra shrotriya on May 4, 2014 at 10:50pm

हार्दिक आभार आदरणीया कुन्ती जी 

Comment by Gajendra shrotriya on May 4, 2014 at 10:48pm

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय Neeraj Kumar जी 

Comment by Neeraj Neer on May 4, 2014 at 10:40am

बहुत ही सुन्दर रचना .... 

Comment by coontee mukerji on May 4, 2014 at 12:53am

बहुत बहुत सुंदर रचना....नींद कि परियों उसकी
पलकों पे जाकर बैठो
और मुझे उसके हिस्से
के रतजगे दे दो.......प्रेमी प्रेम करे तो ऐसा ही....सादर.

Comment by Gajendra shrotriya on May 3, 2014 at 9:56pm

बहुत आभार आदरणीय गिरिराज भंडारी जी 

Comment by Gajendra shrotriya on May 3, 2014 at 9:55pm

 आभार आदरणीय जितेन्द्र  जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 3, 2014 at 7:13pm

आदरणीय गजेन्द्र भाई , विरह प्रेम की बहुत खूबसूरत कविता हुई है , प्रेमिका के प्रति सुन्दर भाव व्यक्त किये हैं ! आपको हार्दिक बधाई ।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 3, 2014 at 3:35am

वाह! दिल को छू गई , तहे दिल से बधाई आपको आदरणीय गजेन्द्र जी

Comment by Gajendra shrotriya on May 2, 2014 at 11:31pm

  हार्दिक धन्यवाद  आदरणीया annapurna जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब जब मलाई लिख दिया गया है यानी किसी प्रोसेस से अलगाव तो हुआ ही है न..दूध…"
16 minutes ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
yesterday
Shabla Arora updated their profile
yesterday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service