For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ऐसे नेता को क्या कहिए -// व्यंग्य रचना // अन्नपूर्णा बाजपेई' अंजु'

ऐसे नेता को क्या कहिए

जो पीटे हिन्दू मुस्लिम राग

सांप्रदायिकता का बिगुल

बजा कर लगाये देश मे आग 

ऐसे नेता .......

जिनका कोई ईमान नहीं 

धर्म से कोई प्रेम नहीं 

राष्ट्र प्रेम का ढोंग दिखाएँ 

बेबस जनता को लूटें खाएं 

ऐसे नेता .......

गिरगिट से होते नेता 

पल मे रंग बदलते नेता 

पल मे तोला पल मे माशा 

खूब दिखाते रोज तमाशा 

ऐसे नेता .......

हाथ जोड़ ये दौड़े आते 

झोली फैला वोट मांगते 

नंगे पाँव सड़क पर चलते 

जनता के भोलेपन को छलते

ऐसे नेता .......

संसद हो या सड़क खूब मचाएँ शोर 

फडकाएं  बाजू और दिखलाएं ज़ोर 

देते मूँछों पर रह रह  ताव 

जनता की हरदम डुबोए नाव 

ऐसे नेता .......

कटते जाएँ सीस पर सीस 

ये   बेगैरत  काढ़ें  खीस 

हुआ धमाका खुल गई पोल 

बज रही थी कारनामो की ढ़ोल 

ऐसे नेता .......

जीत जब ये पाएँ कहीं 

फिर पहचान पाएँ नहीं 

दर दर भटके बेबस जनता 

पर अब इसका काम न बनता 

ऐसे नेता .......

इनका चलता ए सी फुल 

जनता की रहती बिजली गुल 

सफ़ेद पोश ये करते लक दक 

सुख सुविधाओं पर इनका हक 

ऐसे नेता .......

रंगे सियार ये कहायेँ 

निस दिन गंगा मे नहाएँ 

यहाँ वहाँ करके रैली 

मानस गंगा करते मैली 

ऐसे नेता .......

नेता लाओ ऐसा अब चंगा 

किसी लहू से जो ना रंगा 

भ्रष्टाचारी को कर दे नंगा 

जो ना भड़काए देश मे दंगा 

ऐसे नेता .......

अप्रकाशित एवं मौलिक

Views: 706

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mukesh Verma "Chiragh" on May 3, 2014 at 8:50am

आदरणीया अन्नपूर्णा जी
सियासत के हर रंग से रूबरू ये कविता सहज दिल को छूती है.. समाज के लिए संदेश भी छिपा है..इस सामयिक रचना के लिए आप बधाई की पात्र हैं.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 3, 2014 at 3:41am

आपकी रचना तो नेताओं का असली ' चरित्र प्रमाण-पत्र ' बन गई. :)))   बहुत बहुत बधाई आदरणीया अन्नपूर्णा दीदी

Comment by annapurna bajpai on May 2, 2014 at 11:25pm

आ0 श्याम नारायण वर्मा जी आपका आभार । 

Comment by annapurna bajpai on May 2, 2014 at 11:25pm

आ0 नादिर खान जी आपका हार्दिक आभार 

Comment by annapurna bajpai on May 2, 2014 at 11:24pm

आदरणीय अरुण निगम जी आपका हार्दिक आभार । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on May 2, 2014 at 8:42pm

सुन्दर रचना. बेहतरीन चरित्र चित्रण किया है, बधाई.....

Comment by नादिर ख़ान on May 2, 2014 at 7:33pm

नेता लाओ ऐसा अब चंगा 

किसी लहू से जो ना रंगा 

भ्रष्टाचारी को कर दे नंगा 

जो ना भड़काए देश मे दंगा 

ऐसे नेता .......

आदरणीया अन्नपूर्ण जी सुंदर भाव, सार्थक रचना ,शुभकामनायें 

Comment by Shyam Narain Verma on May 2, 2014 at 4:28pm

सुंदर रचना के लिए बहुत बधाई

सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service