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ऐसे नेता को क्या कहिए -// व्यंग्य रचना // अन्नपूर्णा बाजपेई' अंजु'

ऐसे नेता को क्या कहिए

जो पीटे हिन्दू मुस्लिम राग

सांप्रदायिकता का बिगुल

बजा कर लगाये देश मे आग 

ऐसे नेता .......

जिनका कोई ईमान नहीं 

धर्म से कोई प्रेम नहीं 

राष्ट्र प्रेम का ढोंग दिखाएँ 

बेबस जनता को लूटें खाएं 

ऐसे नेता .......

गिरगिट से होते नेता 

पल मे रंग बदलते नेता 

पल मे तोला पल मे माशा 

खूब दिखाते रोज तमाशा 

ऐसे नेता .......

हाथ जोड़ ये दौड़े आते 

झोली फैला वोट मांगते 

नंगे पाँव सड़क पर चलते 

जनता के भोलेपन को छलते

ऐसे नेता .......

संसद हो या सड़क खूब मचाएँ शोर 

फडकाएं  बाजू और दिखलाएं ज़ोर 

देते मूँछों पर रह रह  ताव 

जनता की हरदम डुबोए नाव 

ऐसे नेता .......

कटते जाएँ सीस पर सीस 

ये   बेगैरत  काढ़ें  खीस 

हुआ धमाका खुल गई पोल 

बज रही थी कारनामो की ढ़ोल 

ऐसे नेता .......

जीत जब ये पाएँ कहीं 

फिर पहचान पाएँ नहीं 

दर दर भटके बेबस जनता 

पर अब इसका काम न बनता 

ऐसे नेता .......

इनका चलता ए सी फुल 

जनता की रहती बिजली गुल 

सफ़ेद पोश ये करते लक दक 

सुख सुविधाओं पर इनका हक 

ऐसे नेता .......

रंगे सियार ये कहायेँ 

निस दिन गंगा मे नहाएँ 

यहाँ वहाँ करके रैली 

मानस गंगा करते मैली 

ऐसे नेता .......

नेता लाओ ऐसा अब चंगा 

किसी लहू से जो ना रंगा 

भ्रष्टाचारी को कर दे नंगा 

जो ना भड़काए देश मे दंगा 

ऐसे नेता .......

अप्रकाशित एवं मौलिक

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Comment

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Comment by Mukesh Verma "Chiragh" on May 3, 2014 at 8:50am

आदरणीया अन्नपूर्णा जी
सियासत के हर रंग से रूबरू ये कविता सहज दिल को छूती है.. समाज के लिए संदेश भी छिपा है..इस सामयिक रचना के लिए आप बधाई की पात्र हैं.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 3, 2014 at 3:41am

आपकी रचना तो नेताओं का असली ' चरित्र प्रमाण-पत्र ' बन गई. :)))   बहुत बहुत बधाई आदरणीया अन्नपूर्णा दीदी

Comment by annapurna bajpai on May 2, 2014 at 11:25pm

आ0 श्याम नारायण वर्मा जी आपका आभार । 

Comment by annapurna bajpai on May 2, 2014 at 11:25pm

आ0 नादिर खान जी आपका हार्दिक आभार 

Comment by annapurna bajpai on May 2, 2014 at 11:24pm

आदरणीय अरुण निगम जी आपका हार्दिक आभार । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on May 2, 2014 at 8:42pm

सुन्दर रचना. बेहतरीन चरित्र चित्रण किया है, बधाई.....

Comment by नादिर ख़ान on May 2, 2014 at 7:33pm

नेता लाओ ऐसा अब चंगा 

किसी लहू से जो ना रंगा 

भ्रष्टाचारी को कर दे नंगा 

जो ना भड़काए देश मे दंगा 

ऐसे नेता .......

आदरणीया अन्नपूर्ण जी सुंदर भाव, सार्थक रचना ,शुभकामनायें 

Comment by Shyam Narain Verma on May 2, 2014 at 4:28pm

सुंदर रचना के लिए बहुत बधाई

सादर

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