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खारे पानी के जीव

जब सूरज डूब जायेगा
सब कुछ समा जाएगा
महासागर की अतल गहराइयों में.
पर्वत का तुंग शिखर भी
नहीं बचेगा तृण मात्र
हड्डियों तक का नहीं रहेगा अस्तित्व.
जीवित रहेंगे फिर भी
खारे पानी के जीव ..
...............
नीरज कुमार नीर
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 828

Comment

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Comment by Neeraj Neer on May 23, 2014 at 8:18am

आदरणीय सौरभ जी रचना को गहराई से समझने एवं सराहने हेतू हार्दिक आभार आपका.. स्नेह बनाये रखें .. 

Comment by Neeraj Neer on May 23, 2014 at 8:17am

आदरणीय विजय निकोरे साहब बहुत आभार आपका...

Comment by Neeraj Neer on May 23, 2014 at 8:17am

आदरणीय गिरिराज भंडारी साहब आपका हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 23, 2014 at 3:25am

विषम में भी जी सकने वाले ही बचे रहते हैं की सुन्दर अभिव्यक्ति हुई है.  दरअसल, प्राकृतिक शुचिता की संज्ञाओं का, खारे पानी का और उसके जीवों का बिम्ब कुछ और भी कहता लगा  --तामसिक वृत्तियाँ जब चाहे सर उठा सकती हैं.

बिम्बों का सही प्रयोग करने के लिए हार्दिक बधाई, भाईजी

Comment by vijay nikore on May 20, 2014 at 12:14pm

सोचने को बाधित करती इस रचना के लिए बधाई, आदरणीय।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 19, 2014 at 8:32pm

आदरणीय नीरज भाई , सुनदर और सटीक रचना के लिये आपका आभार ॥

Comment by Neeraj Neer on May 19, 2014 at 8:11am

आदरणीया मीना पाठक जी आपका बहुत आभार.

Comment by Neeraj Neer on May 19, 2014 at 8:10am

आदरणीय भ्रमर साहब आपका बहुत धन्यवाद..

Comment by Neeraj Neer on May 19, 2014 at 8:10am

आपका हार्दिक आभार आदरणीय जीतेन्द्र गीत जी ..

Comment by Meena Pathak on May 18, 2014 at 7:10pm

सार्थक और सटीक रचना हेतु बधाई | सादर 

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