2122 2122 2122
मत कहो आकाश में कुहरा धना है
जाल धुमते बादलो ने बस बुना है
धूप की चादर अभी फैली फिजा में
चाँदनी को चाँद से मिलना मना है
भूल से भी हम न तड़़पाये तुझे थे
दे गवाही आज वो तेरा अना है
फूल भी रोने लगे तब से चमन में
रौद देगा माली ही जब से सुना है
नींद भी तब से नहीं आती किसी को
आदमी शैतान ही जब से बना है
आज ये सुन शर्म खुद रोने लगा क्यों
औरतो ने राह पर बच्चा जना है
मौलिक एवं अप्रकाशित अखंड गहमरी
Comment
आदरणीय सौरभ पाडें जी दुष्यंत कुमार की गजल को मैने कभी पढ़ा नहीं बस मेरे एक मित्र ने सुनाया केवल एक लाइन और उसी पर लिखने को कहा जिस प्रकार हमसे काफिया को लिखने में गलती हुई उसके लिये क्षमा चाहता हूँ मैं आप आदरणीा राजेश कुमारी जी एवं विनस केसरी जी के बताये रास्ते पर चल कर सुधार करने की पूर्ण कोशिश करूगॉं आर्शीवााद प्रदान करें
आदरणीया राजेश कुमारी जी सर्व प्रथम मैं क्षमा चाहता गहमर में बिजली और के कारण मैं जबाब नहीं दे पा रहा था , आदरणीया जिस प्रकार आपने हमें समझाने का प्रयास किया उसके लिये आपको प्रणाम आपके बताये सुझावो को अपना कर मैं रचना कार्य करने पूरा तथा आपके विश्वास पर पूर्ण रूप से खरा उतने का प्रयास करूगॅा आर्शीवााद प्रदान करें
आदरणीय अखंड जी आपके मतले में जो दोष है उसे देखिये घना और बुना में आप आ काफिया लेंगे तो पहला शब्द घन और बुन रह जाएगा इनमे स्वर का अंतर है या नहीं एक बुन है दूसरा घन है बस यही दोष हो गया है नीचे भी एसा ही शब्द लेना होगा जो सामान स्वर का हो जैसे घना और कहा .यदि आ काफिया लेना है तो .किन्तु यदि आपने अंत में ना वाले शब्द ही चुने तो काफिया में ना ही निभाना होगा ---शायद मैं समझा पाई ...ये गलतियाँ शुरू में मैंने बहुत की धीरे धीरे आप भी समझ जायेंगे बस जो लिंक आपने दे रखे हैं उन्हें बार बार ध्यान से पढो बाकि ग़ज़ल आपकी बहुत सुन्दर है विशवास है आप ठीक कर लेंगे
दुष्यंत कुमार को पढ़ कर सीखना एक बात है और प्रभावित होकर वैसे ही लिखने लग जाना एकदम से दूसरी बात.
आप लिखने के साथ-साथ पढिये भी. आपने खुद ही लिंक दिया है उसी को देख जाइये. वर्ना ऐसी गलतियाँ होती रहेंगीं जिनकी ओर वीनसजी ने इशारा किया है.
आदरणीय अखंड जी ..इस सुंदर ग़ज़ल का हर शेर उम्दा लगा ..मेरी तरफ से हार्दिक शुभकामनाये सादर
बहुत खूब .. बधाइयाँ .. सादर
आदरणीय विनस केसरी जी प्रणाम आपकी जानकारी में गलत होगा तो 100 प्रतिशत गलत है मैं इस आशय का बस निवदेन करना चाहता हूँ कि मैने कई गजलो में काफीयाँ '''आ अथवा ई की मात्रा केा देखा उसी आधार पर मैने -के वल आ की मात्रा को काफीयाँ बनाया जो गलत साबित हुआ आपसे प्रार्थना है कि आप मेरा उचित मार्ग दर्शन करें
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