For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुहरा धना है गजल तरही गजल

2122 2122 2122
मत कहो आकाश में कुहरा धना है
जाल धुमते बादलो ने बस बुना है

धूप की चादर अभी फैली फिजा में
चाँदनी को चाँद से मिलना मना है

भूल से भी हम न तड़़पाये तुझे थे
दे गवाही आज वो तेरा अना है

फूल भी रोने लगे तब से चमन में
रौद देगा माली ही जब से सुना है

नींद भी तब से नहीं आती किसी को
आदमी शैतान ही जब से बना है

आज ये सुन  शर्म खुद रोने लगा क्‍यों
औरतो ने राह पर  बच्‍चा जना है

मौलिक एवं अप्रकाशित अखंड गहमरी

Views: 801

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Akhand Gahmari on June 13, 2014 at 8:48pm

आदरणीय सौरभ पाडें जी दुष्‍यंत कुमार की गजल को मैने कभी पढ़ा नहीं बस मेरे एक मित्र ने सुनाया केवल एक लाइन और उसी पर लिखने को कहा जिस प्रकार हमसे काफिया को लिखने में गलती हुई उसके लिये क्षमा चाहता हूँ मैं आप आदरणीा राजेश कुमारी जी एवं विनस केसरी जी के बताये रास्‍ते पर चल कर सुधार करने की पूर्ण कोशिश करूगॉं आर्शीवााद प्रदान करें

Comment by Akhand Gahmari on June 13, 2014 at 8:46pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी सर्व प्रथम मैं क्षमा चाहता गहमर में बिजली और के कारण मैं जबाब नहीं दे पा रहा था , आदरणीया जिस प्रकार आपने हमें समझाने का प्रयास किया उसके लिये आपको प्रणाम आपके बताये सुझावो को अपना कर मैं रचना कार्य करने पूरा तथा आपके विश्‍वास पर पूर्ण रूप से खरा उतने का प्रयास करूगॅा आर्शीवााद प्रदान करें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 8, 2014 at 10:11pm

आदरणीय अखंड जी आपके मतले में जो दोष है उसे देखिये घना और बुना में आप आ काफिया लेंगे तो पहला शब्द घन और बुन रह जाएगा इनमे स्वर का अंतर है या नहीं एक बुन है दूसरा घन है बस यही दोष हो गया है नीचे भी एसा ही शब्द लेना होगा जो सामान स्वर का हो जैसे घना और कहा .यदि आ काफिया लेना है तो .किन्तु यदि आपने अंत में ना वाले  शब्द ही चुने तो काफिया में ना ही निभाना होगा ---शायद मैं समझा पाई ...ये गलतियाँ शुरू में मैंने बहुत की धीरे धीरे आप भी समझ जायेंगे बस जो लिंक आपने दे रखे हैं उन्हें बार बार ध्यान से पढो बाकि ग़ज़ल आपकी बहुत सुन्दर है विशवास है आप ठीक कर लेंगे  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 8, 2014 at 9:29pm

दुष्यंत कुमार को पढ़ कर सीखना एक बात है और प्रभावित होकर वैसे ही लिखने लग जाना एकदम से दूसरी बात.

आप लिखने के साथ-साथ पढिये भी. आपने खुद ही लिंक दिया है उसी को देख जाइये. वर्ना ऐसी गलतियाँ होती रहेंगीं जिनकी ओर वीनसजी ने इशारा किया है.

Comment by Akhand Gahmari on June 6, 2014 at 7:34pm
Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 4, 2014 at 1:14pm

आदरणीय अखंड जी ..इस सुंदर ग़ज़ल का हर शेर उम्दा लगा ..मेरी तरफ से हार्दिक शुभकामनाये सादर 

Comment by Meena Pathak on June 4, 2014 at 12:33pm

बहुत खूब .. बधाइयाँ .. सादर 

Comment by Akhand Gahmari on June 4, 2014 at 11:00am
Comment by Akhand Gahmari on June 4, 2014 at 10:59am
Comment by Akhand Gahmari on June 4, 2014 at 10:57am

आदरणीय विनस केसरी जी प्रणाम आपकी जानकारी में गलत होगा तो 100 प्रतिशत गलत है मैं इस आशय का बस निवदेन करना चाहता हूँ कि मैने कई गजलो में काफीयाँ '''आ अथवा ई की मात्रा केा देखा उसी आधार पर मैने -के वल आ की मात्रा को काफीयाँ बनाया जो गलत साबित हुआ आपसे प्रार्थना है कि आप मेरा उचित मार्ग दर्शन करें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदरणीय शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। शीर्षक लिखना भूल गया जिसके लिए…"
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"समय _____ "बिना हाथ पाँव धोये अन्दर मत आना। पानी साबुन सब रखा है बाहर और फिर नहा…"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक स्वागत मुहतरम जनाब दयाराम मेठानी साहिब। विषयांतर्गत बढ़िया उम्दा और भावपूर्ण प्रेरक रचना।…"
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
" जय/पराजय कालेज के वार्षिकोत्सव के अवसर पर अनेक खेलकूद प्रतियोगिताओं एवं साहित्यिक…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हाइमन कमीशन (लघुकथा) : रात का समय था। हर रोज़ की तरह प्रतिज्ञा अपने कमरे की एक दीवार के…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आदरणीय विभारानी श्रीवास्तव जी। विषयांतर्गत बढ़िया समसामयिक रचना।"
10 hours ago
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123विषय : जय/पराजय आषाढ़ का एक दिन “बुधौल लाने के…"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आपकी रचना का। प्रदत्त विषयांतर्गत बेहद भावपूर्ण और विचारोत्तेजक कथानक व कथ्य…"
17 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service