For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गिड़गिड़ाने से बची कब लाज तेरी द्रोपदी-ग़ज़ल

2122    2122    2122    212

***
शब्द   अबला  तीर  में  अब  नार  ढलना  चाहिए
हर दुशासन का कफन  खुद तू ने  सिलना चाहिए

***
लूटता  हो  जब  तुम्हारी  लाज  कोई  उस समय
अश्क  आँखों   से  नहीं  शोला  निकलना  चाहिए

***
गिड़गिड़ाने   से   बची   कब   लाज  तेरी  द्रोपदी
वक्त पर उसको सबक कुछ ठोस मिलना चाहिए

**
हर समय तो आ नहीं सकता कन्हैया तुझ तलक
काली बन खुद  रक्त  बीजों  को  कुचलना चाहिए

**
फूल बनकर  दे महक  उपवन को  यूँ तो  रोज तू
ज्वाल भी  बन, जो  उठे  वो  हाथ  जलना चाहिए

***
        रचना - 20 मई 2014
     मौलिक और अप्रकाशित
   लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’

Views: 950

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 17, 2014 at 9:10am

आदरणीया कल्पना दीदी ,ग़ज़ल की प्रशंसा कर उत्साहवर्धन के लिए आभार .

Comment by कल्पना रामानी on June 16, 2014 at 8:35pm

बहुत सार्थक गज़ल कही है, हरशेर प्रभावित करता है।  आदरणीय धामी जी, बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 12, 2014 at 9:45am

आदरणीय शकील भाई,जानकारी उपलब्ध करने के लिए आभार .

Comment by शकील समर on June 9, 2014 at 3:18pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई, इकवा दोष काफिए का एक दोष है। निम्न लिंक पर जाकर आप काफिए के दोष के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल कर सकते हैं।

http://www.openbooksonline.com/group/gazal_ki_bateyn/forum/topics/5...

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 9, 2014 at 10:44am

आदरणीय बहन राजेश जी गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद . साथ ही दोष की और इशारा करने के लिए आभार .

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 9, 2014 at 10:41am

आदरणीया कुंती बहन , ग़ज़ल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद .

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 9, 2014 at 10:39am

आदरणीय भाई विजय निकोर जी , ग़ज़ल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार .

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 9, 2014 at 10:36am

आदरणीय भाई उमेश कटारा जी, गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 9, 2014 at 10:36am

आदारणीया सविता मिश्रा जी , गजल की सराहना के लिए हार्दिक आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 9, 2014 at 10:36am

आदरणीय भाई आषुताष , गजल को अत्यधिक मान देने के लिए कोटि कोटि धन्यवाद । यह आप जैसे सभी सुधीजनों का स्नेह और मार्गदर्शन ही है जो बेहतर लिखने के लिए उत्साहित करता है । आप सभी का स्नेह इसी प्रकार मिलता रहे यही कामना है ....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service