आँसुओं से हम गजल लिखते रहे
कागजों में दर्द बन बिकते रहे
वो पराये हो चुके थे अब तलक
और हम अपना समझ झुकते रहे
पीठ पर वो बार करने का हुनर
उम्र भर हम याद ही करते रहे
हद से ज्यादा हम हुये जब गमजदा
बारबा वो खत तेरा पढ़ते रहे
तू गया कितने जलाकर आशना
आशना वो आज तक जलते रहे
हम समझ कर आदमी को आदमी
साथ हम शैतान के चलते रहे
उमेश कटारा
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
बधायी स्वीकारें आदरणीय..
सुझाव समीचीन हैं..
सादर
शुक्रिया डा.प्राची सिंह जी
बहुत मर्मस्पर्शी भाव समेटे हैं इन अशआरों में आ० उमेश कटारा जी
बहुत बहुत बधाई
मतले में इता दोष के साथ ही अंतिम शेर में हम काफिया शब्द भी सही नहीं है..एक बार देख लें
shukriya coontee mukerji ji
apka
शुक्रिया narendrasinh chauhan sahb
हम समझ कर आदमी को आदमी
साथ हम शैतान के चलते रहे....हमारे आसपास कितने असमाजिक तत्व घूमते रहते हैंलेकिन हम जान नहीं पाते हैं.अच्छी गजल के लिए दाद कूबूल करें.
आदरणीय शिज्जू शंकर जी शुक्रिया ,,कृपया स्पष्ट इंगित करें मेरी गजल के दोष वगैरह की जानकारी कम ही है सर
शुक्रिया राजेश कुमारी जी
शुक्रिया दीपिका जी
शुक्रिया मीना पाठक जी
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online