For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

निकाल दूँ कैसे तुझे अपने खयाल से

1212 2212   22  1212

भले नहीं रिश्ता तेरा अब मेरे हाल से

निकाल दूँ कैसे तुझे अपने खयाल से

फकीर जैसा हो गया हूँ तेरे इश्क में

बचा नहीं अब तक कोई भी हुस्न जाल से

कोई नहीं क्या हद कोई इस इन्तजार की

गुजर रहे है दिन महीने जैसे साल से

रकीब की महफिल को जब तूने सजा दिया

तो हो गया सबको अचम्भा इस कमाल से

कहाँ कहाँ ढूँढू तुझे दुनिया की भीड में

जहाँ परेशाँ हैँ यहाँ अब तो सवाल से

उमेश कटारा

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 465

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by umesh katara on May 15, 2014 at 7:44pm

शुक्रिया मीना जी

Comment by umesh katara on May 15, 2014 at 7:43pm

शुक्रिया महिमा जी

Comment by Meena Pathak on May 11, 2014 at 2:31pm

अति सुन्दर .... बधाई 

Comment by MAHIMA SHREE on May 10, 2014 at 11:37am

behad umda prstuti bdhai aapko saadar

Comment by umesh katara on May 8, 2014 at 10:26am

शुक्रिया शिज्जू शंकर जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 7, 2014 at 10:32pm

बड़े उम्दा खयालात हैं आदरणीय उमेश जी बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by umesh katara on May 5, 2014 at 7:56pm

शुक्रिया अरुन कुमार जी

Comment by umesh katara on May 5, 2014 at 7:56pm

शुक्रिया कुन्ती मुकर्जी जी

Comment by coontee mukerji on May 5, 2014 at 1:31am

कहाँ कहाँ ढूँढू तुझे दुनिया की भीड में

जहाँ परेशाँ हैँ यहाँ अब तो सवाल से.....बहुत खूब.....हार्दिक बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on May 4, 2014 at 8:54pm

कहाँ कहाँ ढूँढू तुझे दुनिया की भीड में

जहाँ परेशाँ हैँ यहाँ अब तो सवाल से

उम्दा गज़ल के लिए बधाई.............

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
2 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
10 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
13 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
Thursday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
Thursday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service