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प्रश्न यह अश्लील है, पैदा हुई क्यों लड़कियां ?
घर की दीवारें लाँघ कर बाहर गयी क्यों लड़कियां?
वो सांस्कृतिक कार्यक्रमों , में उम्र सीमा बांधते|
खोल कर उनके मुखौटे घर से क्यों भागी लड़कियां?

है किसी की बहन , किसी की बेटी लड़कियां
फिर क्यों चौराहों पर, घूरी जाती हैं लड़कियां ?
वक्त बदला है, वो जल्दी ही उतार फेकेंगी |
चूड़ियों की हथकड़ी और पायलों की बेड़ियाँ |

न जाने कितने रूपों में हैं प्यार लुटाती लड़कियां|
जिंदगी की धूप में , छाँव हैं ,ये लड़कियां|
किस सम्मान के नाम पर हैं, क़त्ल की जा रही?
इक आदत भाई की खातिर रोती हैं कितनी लड़कियां|


मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by DIWAS MISHRA on November 21, 2014 at 12:04am

धन्यवाद Dr.Prachi Singh जी एवं Saurabh Pandey जी आप सभी के सानिध्य में लिखना सीख रहा हूँ,शिल्प पक्ष पर ध्यान देने का प्रयास करूँगा |

 परीक्षाओं में व्यस्तता से आभार व्यक्त करने में देरी हो गयी क्षमा प्रार्थी हूँ | 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 19, 2014 at 11:29pm

भावना प्रधान प्रस्तुति के लिए धन्यवाद. यों शिल्पगत प्रयास आपके साथ पाठकों को भी रोचक लगेगा.

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 19, 2014 at 11:35am

आ० दिवस मिश्रा जी 

आज समाज में लड़कियों के साथ हो रहे अत्याचारों के प्रतिकार में कई प्रश्न आपके मन से मुखरित हुए हैं..... सही हैं!

लेकिन प्रस्तुति को अभी और समय की संयोजन की आवश्यकता है... सतत प्रयास से प्रस्तुतियां सध सकेंगी ..यही शुभकामना है 

Comment by DIWAS MISHRA on June 15, 2014 at 9:32pm

आदरणीया मंजरी जी आपकी बधाई मैं सहर्ष स्वीकार करता हूँ.|

Comment by DIWAS MISHRA on June 15, 2014 at 9:30pm

धन्यवाद महिमा जी |

Comment by mrs manjari pandey on June 15, 2014 at 9:29pm
आदरणीय दिवस मिश्र जी सलीके से सच्चाई को बेपर्द किया है इसके लिए बधाई स्वीकारें
Comment by MAHIMA SHREE on June 15, 2014 at 4:17pm

लड़कियों के साथ हुए और हो रहे अन्याय से उठे आपके भावपूर्ण प्रश्न के लिए आभार .. सादर

Comment by DIWAS MISHRA on June 14, 2014 at 5:17am

धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण भाई जबाब छिपा है तो बाहर लाते हैं ताकि हमारा समाज बेहतर बन सके |

Comment by DIWAS MISHRA on June 14, 2014 at 5:13am

धन्यवाद आदरणीया मीणा जी वर्तमान को देखते हुए ऐसा ही प्रतीत होता है,पर इन मुद्दों पर पहल हमीं को करनी होगी |

Comment by DIWAS MISHRA on June 14, 2014 at 5:10am

धन्यवाद आदरणीय डॉ. विजय शंकर जी हैं इस पितृसत्तात्मक समाज की मानसिकता बदलनी होगी तभी कुछ संभव है |

कृपया ध्यान दे...

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