प्रश्न यह अश्लील है, पैदा हुई क्यों लड़कियां ?
घर की दीवारें लाँघ कर बाहर गयी क्यों लड़कियां?
वो सांस्कृतिक कार्यक्रमों , में उम्र सीमा बांधते|
खोल कर उनके मुखौटे घर से क्यों भागी लड़कियां?
है किसी की बहन , किसी की बेटी लड़कियां
फिर क्यों चौराहों पर, घूरी जाती हैं लड़कियां ?
वक्त बदला है, वो जल्दी ही उतार फेकेंगी |
चूड़ियों की हथकड़ी और पायलों की बेड़ियाँ |
न जाने कितने रूपों में हैं प्यार लुटाती लड़कियां|
जिंदगी की धूप में , छाँव हैं ,ये लड़कियां|
किस सम्मान के नाम पर हैं, क़त्ल की जा रही?
इक आदत भाई की खातिर रोती हैं कितनी लड़कियां|
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
धन्यवाद आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी वास्तव में यह टंकड़ त्रुटि है ,हर एक कलियुग के बाद सट्यूड आएगा इन्ही उम्मीदों के सहारे हम जी रहे हैं |
धन्यवाद आदरणीया अन्नपूर्णा जी ये प्रश्न मन को उद्वेलित करते रहते हैं, जबाब अभी तक तो नही मिल पाया है देखते हैं आगे आने वाली पीढ़ी शायद इन्हे समझ सके |
आदरणीय दिवास भाई , बहुत ही मुखरित प्रश्न उठाये है आपने l इसका जवाब हम सब पुरुषों के मन में ही छिपा है इस्वर की तरह आब यह हम पर है की उसे हम कितना तलास पाते हैं . हमारे समाज में इन प्रश्नों और इस्वर की एक ही गति है . बहरहाल एक अच्छी ग़ज़ल के लिए कोटि कोटि बधाई .
जवाब नही मिलेगा आप को | सादर
दिवस जी
आखिरी पंक्तिमे शायद टंकण त्रुटि है i संभवतः ' इक अदद भाई की खातिर' होना चाहिए था i बाकी लडकियों के साथ क्या हो रहा है सब जानते है i सतयुग लगभग अज्ञात है द्वापर में द्रौपदी की लाज लुटी i त्रेता में सीता का अपहरण हुआ i कलयुग प्रत्यक्ष है i इस प्रश्न का उत्तर शयेद ही कभी मिल पाए i पर प्रश्न तो शाश्वत है i
सार्थक प्रश्न !! उत्तर शायद ही कोई दे सकेगा ।
धन्यवाद गिरिराज जी
आदरनीय , सदा से ही ये प्रश्न ऐसे ही खड़े हैं , कोई उत्तर नही खोज पाया ! सुन्दर रचना के लिये बधाई ॥
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