For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वैसे तो मैं
हर डगर से पहुँच जाता हूँ
तेरे पास .
मगर यह
प्रेम डगर बहुत कठिन है.
तुम्ही आ जाओ न
ढलान से होकर.

डॉ. विजय प्रकाश शर्मा
(मौलिक व् अप्रकाशित )

Views: 862

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 20, 2014 at 6:18pm

आ० सौरभ पाण्डेय जी,
मेरे छोटे- छोटे प्रयास को मान देने के लिए आपका बहुत- बहुत धन्यवाद सह आभार.

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 20, 2014 at 6:15pm

आ० विजय निहोरे जी,
यह कविता आपको भाई, आपने दे दी बधाई,
बहुत- बहुत धन्यवाद सह आभार.

Comment by vijay nikore on June 20, 2014 at 7:24am

बहुत ही सुन्दर भाव हैं। बधाई, आदरणीय  विजय जी।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 19, 2014 at 11:43pm

आपकी छोटी किन्तु अत्यंत प्रखर रचनाओं का आस्वादन ले रहा हूँ.  भला लग रहा है.

सादर धन्यवाद आदरणीय

 

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 19, 2014 at 1:52pm

डॉ, प्राची सिंह जी,रचना आपको पसंद आयी , प्रोत्साहन के लिए आभार.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 19, 2014 at 12:26pm

बहुत मुलायम भावनाओं को मुखर किया है....

सही है कई बार सफ़र तय कर पाना संभव नहीं होता ...मन को कई कई कारण रोक लेते हैं बाँध लेते हैं..... तो मन ही मन प्रिय से ये निवेदन कि इस राह पर वो ही कुछ कदम बढ़ा लें..... खूबसूरत एहसास 

हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति पर आ० डॉ० विजय शर्मा जी 

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 16, 2014 at 9:34pm

आदरणीया कल्पना रामानी जी ,
आपकी सराहना पाकर मेरे साथ-साथ मेरी कविता भी धन्य हो गई. कृपा बनाये रखें.

Comment by कल्पना रामानी on June 16, 2014 at 8:04pm

छोटी सी सुंदर कविता बहुत पसंद आई। आपको हार्दिक बधाई आदरणीय विजय जी

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 14, 2014 at 11:28am

आभार मीना जी , जीतेन्द्र जी -आपने हमारा मान बढ़ाया. स्नेह बनाय रखें.

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 14, 2014 at 11:25am

सभी पाठको का आभार.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
9 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सुन, ससुराल में किसी से दब के रहने की कोई ज़रूरत नहीं है। अरे भाई, हमने कोई फ्री में सादी थोड़ी की…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
15 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र ji कृपया देखिएगा सादर  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे मुहब्बत का होगा असर धीरे…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चेतन प्रकाश जी, हृदय से आभारी हूं।  साप्ताहिक हिंदुस्तान में कोई और तिलक राज कपूर रहे होंगे।…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद आदरणीय धामी जी। इस शेर में एक अन्य संदेश भी छुपा हुआ पाएंगे सांसारिकता से बाहर निकलने…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय,  विद्यार्जन करते समय, "साप्ताहिक हिन्दुस्तान" नामक पत्रिका मैं आपकी कई ग़ज़ल…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"वज़न घट रहा है, मज़ा आ रहा है कतर ले मगर पर कतर धीरे धीरे। आ. भाई तिलकराज जी, बेहतरीन गजल हुई है।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service