कायर हैं वे लोग यहाँ
नारी को आँख दिखाते हैं
कमतर कमजोर हैं वे नर भी
नारी को ढाल बनाते हैं
------------------------
कौरव रावण इतिहास बहुत से
अधम नीच नर बदला लेते
अपनी मूंछे ऊंची रखने को
नारी का बलि चढ़ा दिए
अंजाम सदा वे धूल फांक
मुंह छिपा नरक में वास किये
मानव -दानव का फर्क मिटा
मानवता को बदनाम किये
नाली के कीड़े तुच्छ सदा
खुद को भी फांसी टांग लिए
नारी रोती है विलख आज
क्या पल थे ऐसे पूत जने
कायर हैं वे लोग यहाँ
नारी को आँख दिखाते हैं
कमतर कमजोर हैं वे नर भी
नारी को ढाल बनाते हैं
=====================
इन अधम नीच नर से अच्छे
चौपाये जंगल राज भला
हैं वीर बहुत खुद लड़ लेते
मादा को रखें सुरक्षित सा
उनके नैनों में झाँक-झाँक
वे क्रीड़ा-प्रेम बहुत करते
शावक-शिशु मादा सभी निशा
हरियाली-खुश विचरा करते
दिन में असुरक्षित माँ -बहनें -
अपनी- कहते रोना आता
कायर हैं वे लोग यहाँ
नारी को आँख दिखाते हैं
कमतर कमजोर हैं वे नर भी
नारी को ढाल बनाते हैं
=========================
नारी -देवी-लक्ष्मी अपनी
संकोच शील की छवि न्यारी
बिन नारी भवन खंडहर हैं
मंदिर सूना -ना-प्रेम -पुजारी
तितली -बदली-चन्दा -गुलाब
हैं जेठ दुपहरी शीतल छाया
चन्दन-खुशबू-कुंकुम -पराग
मधु-मधुर बहुत अनुपम-माया
है यही मोहिनी सृष्टि यही
जन पूत उसी से मिटती भी
शीतल गंगा जग सींच रही
ना हो ऐसा वो उबल पड़े
पालन पोषण दुग्धामृत सब
जीवन अपना सब हाथ लिए
इस सृष्टि का मत कर विनाश
देखो कल हों कंकाल पड़े
नारी दुर्गा -काली -चण्डी
है रौद्र रूप बच के रहना
दया स्नेह संस्कार मूर्ति
हिय भरे नेह गर बच रहना
कायर हैं वे लोग यहाँ
नारी को आँख दिखाते हैं
कमतर कमजोर हैं वे नर भी
नारी को ढाल बनाते हैं
====================
"मौलिक व अप्रकाशित"
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल 'भ्रमर ५ '
कुल्लू हिमाचल
भारत
7.30 A.M. -8.15 P.M.
13.06.2014
Comment
आदरणीय सौरभ भाई रचना की वैचारिक प्रस्तुति आप के मन को छू सकी और आप का रचना पर समर्थन मिला बड़ी ख़ुशी हुयी
आभार
भ्रमर ५
इस वैचारिक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद भाईजी
प्रिय जितेंद्र जी आप का बहुत बहुत आभार रचना पर काश ऐसे सब का समर्थन मिले समाज में
भ्रमर ५
आदरणीया राजेश कुमारी जी आभार प्रोत्साहन हेतु रचना सार्थक सन्देश दे सकी लिखना सार्थक रहा
भ्रमर ५
महिमा जी जय श्री राधे आप की बधाई सर आँखों पर , रचना पर आप का समर्थन मिला ख़ुशी हुयी
भ्रमर ५
कदम से कदम मिला चल रही
दंभ नहीं स्वयं पर गर्व होना चाहिए
दरिंदो के मन में खौफ पैदा हो
ऐसा आत्मविश्वास होना चाहिए|
सविता
खूबसूरत रचा आप ने सविता जी सुन्दर भाव बहुत बहुत आभार समर्थन हेतु आइये नारियों का भरपूर सम्मान करें
भ्रमर ५
आदरणीय सुरेन्द्र भ्रमर भाई , आज के मर्दों की मानसिकता बताती , सार्थक संदेश देती आपकी रचना के लिये आपकओ हार्दिक बधाई ।
सार्थक संदेश देती हुई बहुत सुंदर रचना आदरणीय सुरेन्द्र जी, हार्दिक बधाई आपको
आ० भाई सुरेन्द्र जी इस बहुमूल्य रचना के लिए कोटि कोटि बधाई .
बहुत सुंदर रचना आदरणीय सुरेन्द्र जी, हार्दिक बधाई आपको
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online