1222 1222 1222 122
हमारे प्यार को वो अब निभाती भी नहीं है
जलाये क्यों हमारा दिल बताती भी नहीं है
लिखा जो गीत उसने वेवफाई पे हमारी
कभी वह गीत हमको तो सुनाती भी नहीं है
बनाया था महल मैनें कभी उनके लिये जो
पड़ा है आज भी सूना जलाती भी नहीं है
बड़े अरमान थे उनसे सजाये जिन्दगी में
मगर उनको कभी अब वो सजाती भी नहीं है
करें किससे शिकायत जिन्दगी की हम बताओ
कभी भी प्यार से मुझको बुलाती भी नहीं है
मौलिक व अप्रकाशित अखंड गहमी
Comment
न जाने प्यार को मेरे निभाती क्यों नहीं है वो
जलाये क्यों हमेशा दिल बताती क्यों नहीं है वो
लिखी इक गीत वो जिसमे कहा था बेवफा मुझको
मगर वह गीत भी मुझको सुनाती क्यो नहीं है वो
करें किससे शिकायत प्यार की अब हम बताओ तुम
जिसे मैं प्यार करता हूँ बुलाती क्यों नहीं है वो
बनाया हाथ से अपने महल जिनके लिए देखो
पड़ा वह आज भी सूना जलाती क्यों नहीं है वो
बडे़ अरमान से जिसने सजाया जिन्दगी मेरी
गिरा जब आज फिर से मैं उठाती क्यों नहीं है वो
करें किससे शिकायत जिन्दगी की हम बताओ
कभी भी प्यार से मुझको बुलाती भी नहीं है... बढ़िया कहा आपने ... बहुत -२ बधाई आपको सादर
वाआआआआआआआअह खूबसूरत ग़ज़ल का हर अशआर खूबसूरत .... हार्दिक बधाई आदरणीय अखंड गहमी जी
उत्सावर्धन एवं मार्गदर्शन के लिये आपको चरण स्पर्श आप का आशीवाद बना रहें आदरणीय जितेन्द्र गीत जी
उत्सावर्धन एवं मार्गदर्शन के लिये आपको चरण स्पर्श आप का आशीवाद बना रहें आदरणीय गिरिराज भंडारी जी
उत्सावर्धन एवं मार्गदर्शन के लिये आपको चरण स्पर्श आप का आशीवाद बना रहें आदरणीय jijay nikore ji
इस अच्छी गज़ल के लिए बधाई, आदरणीय अखंड जी।
आदरणीय अखंड भाई , मुहब्बत मे पाये गमो को सुन्दर शब्द मिले हैं , अच्छी गज़ल के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥
बहुत सुंदर गजल, बधाई आदरणीय अखंड जी
उत्सावर्धन एवं मार्गदर्शन के लिये आपको चरण स्पर्श आप का आशीवाद बना रहें आदरणीय डाक्टर गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online