1212 1122 1212 22
हुई न खत्म मेरी दास्ताने ग़म यारो
हरेक लफ़्ज़ अभी अश्क़ से है नम यारो
है ज़िन्दगी तो यहाँ मुश्किलात भी होंगी
चलो जियें इसे हर सांस दम ब दम यारो
इधर चराग का जलना उधर हवा की रौ
ये मेरा ज़ोरे जिगर और वो सितम यारो
लिबास ही से न होगा कभी नुमायाँ सच
सफ़ेदपोश तो लगते हैं मुह्तरम यारो
रहा न बस कोई तहरीर पर किसी का अब
चलाना भूल गईं उँगलियाँ क़लम यारो
मैं रफ़्ता- रफ़्ता उबरने लगा हवादिस से
कि हौसला मेरे दिल में कहाँ है कम यारो
मुह्तरम =सम्माननीय
तहरीर =लिखावट
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
आदरणीय सौरभ सर आपका तहेदिल से शुक्रिया
आदरणीय डॉ प्राची जी रचना को मान देने के लिये आपका तहेदिल से शुक्रिया
वाह !
दिल से बधाई भाईजी.. .
है ज़िन्दगी तो यहाँ मुश्किलात भी होंगी
चलो जियें इसे हर सांस दम ब दम यारो.....................यही हौसला तमाम मुश्किलों के पार ले जाता है
इधर चराग का जलना उधर हवा की रौ
ये मेरा ज़ोरे जिगर और वो सितम यारो......................बहुत खूब
सुन्दर अश'आर हुए हैं आ० शिज्जू जी
हार्दिक बधाई
आदरणीय अरुण भाई आपका बहुत बहुत शुक्रिया
वाह भाई वाह बहुत ही खूबसूरत उम्दा ग़ज़ल कही है आपने ढेरों दिली बधाइयाँ स्वीकारें.
आदरणीया अन्नपूर्णा जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया
आदरणीय नरेन्द्र सिंह चौहान जी आपका हार्दिक आभार
लाजवाब , बहुत खूब , बधाई आपको इस सुंदर गजल के लिए ।
आदरणीय गिरिराज सर ये आपका बड़प्पन है जो मुझे इतना मान दे रहे हैं स्नेह यूँ ही बनाये रखें, रचना के समय देने और सराहने के लिये आपका तहेदिल से शुक्रिया।
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