समय बीतता गया...
समय की आँधी क्रान्तियात्रा-सी
धुन्धले पड़ते
प्रतीक्षा और मृत्यु के सीमान्त
लड़खड़ाता साहस, विश्वास
ऐसे में स्नेह को आँधी में
दोनों हाथों से लुटा कर
कुछ मिलता है क्या
आत्मपीड़न के सिवा ?
अकेलापन
कसैलापन रसता
बचा रह जाता है
बीतती मुस्कान ओंठों पर
खाली बोतलों के पास
टूटे हुए गिलास-सी पड़ी ...
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-- विजय निकोर
(मौलिक और अप्रकाशित)
Comment
जीवन जीने के लिए तीनों गुण ..सत्व, रज, और तम .. अनिवार्य ही हैं। समय समय पर यह तीनों मनोहारी हो सकते हैं, परन्तु हमें संतुलित रहने के लिए निष्पक्ष निर्णय की योग्यता चाहिए। इस विषय पर आपसे यह विचार साझा करना अच्छा लगा, आदरणीय सौरभ जी।
आदरणीय संतलाल जी,
क्षमाप्रार्थी हूँ । आपने निम्न संदेश मेरी comment wall पर कई दिन हुए छोड़ा, परन्तु मैंने उसको आज ही देखा।
//आदरणीय निकोर जी, हृदयतल के अत्यंत संवेदनात्मक भावों को दर्दीले स्वरों में बाहर लाने के लिए हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ ! --
"अकेलापन
कसैलापन रसता
बचा रह जाता है
बीतती मुस्कान ओंठों पर
खाली बोतलों के पास
टूटे हुए गिलास-सी पड़ी ..." //
आपने रचना को सराह कर मुझको मान दिया है, आपका हार्दिक आभार । आशा है आपका स्नेह मिलता रहेगा।
आदरणीय निकोर जी
आपने मेरी जिस कविता को पूरा पढने की इच्छा व्यक्त की है वह हृदयाग्नि शीर्षक से ब्लॉग पर उपलब्ध है i सादर i
//जीवन की निराशाओं को आपने जो शब्द दिये हैं वो क़ाबिले तारीफ है//
रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय भाई गिरिराज जी।
//पुरानी यादें और अकेले पन के दर्द की जीती जागती तस्वीर आपकी ये रचना//
रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीया राजेश जी।
//कम शब्दों में यथार्थ बयाँ किया है आपने आदरणीय ... हार्दिक बधाई आपको इस सफ़ल रचना के लिए।//
रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीया विन्दु जी ।
//बेहद मार्मिक रचना ...इतना प्रेम और वो भी इस तरह ...
बहुत खुबसूरत और दिल छु लेने वाली रचना है...आपकी सोच और लेखन को नमन .....//
रचना इस प्रकार आपके मन तक पहुँच सकी, और आपने इसको इतना मान दिया...
मैं आपका आभारी हूँ, आदरणीया प्रियंका जी।
आदरणीय गोपाल नारायन जी, धन्यवाद। आपकी पूरी रचना पढ़ने को मन है।
//सरल शब्द संयोजन एवं सुंदर प्रवाह इसकी विशेषता है//
रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय सुशील जी।
//हृदयस्पर्शी और सुन्दर रचना//
रचना पर आपकी उपस्थिति के लिए और सराहना के लिए आभारी हूँ, आदरणीय लक्ष्मण जी।
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