For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

समय बीतता गया... (विजय निकोर)

समय बीतता गया...

समय की आँधी क्रान्तियात्रा-सी

धुन्धले पड़ते

प्रतीक्षा और मृत्यु के सीमान्त

लड़खड़ाता साहस, विश्वास

ऐसे में स्नेह को आँधी में

दोनों हाथों से लुटा कर

कुछ मिलता है क्या

आत्मपीड़न के सिवा ?

अकेलापन

कसैलापन रसता

बचा रह जाता है

बीतती मुस्कान ओंठों पर

खाली बोतलों के पास

टूटे हुए गिलास-सी पड़ी ...

            -------

-- विजय निकोर

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 808

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on July 28, 2014 at 5:58am

जीवन जीने के लिए तीनों गुण ..सत्व, रज, और तम .. अनिवार्य ही हैं। समय समय पर यह तीनों मनोहारी हो सकते हैं, परन्तु हमें संतुलित रहने के लिए निष्पक्ष निर्णय की योग्यता चाहिए। इस विषय पर आपसे यह विचार साझा करना अच्छा लगा, आदरणीय सौरभ जी।

Comment by vijay nikore on July 28, 2014 at 1:32am

आदरणीय संतलाल जी,

क्षमाप्रार्थी हूँ । आपने निम्न संदेश मेरी comment wall पर कई दिन हुए छोड़ा, परन्तु मैंने उसको आज ही देखा।

//आदरणीय निकोर जी, हृदयतल के अत्यंत संवेदनात्मक भावों को दर्दीले स्वरों में बाहर लाने के लिए हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ ! --

"अकेलापन

कसैलापन रसता

बचा रह जाता है

बीतती मुस्कान ओंठों पर

खाली बोतलों के पास

टूटे हुए गिलास-सी पड़ी ..." //

आपने रचना को सराह कर मुझको मान दिया है, आपका हार्दिक आभार । आशा है आपका स्नेह मिलता रहेगा।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 17, 2014 at 2:43pm

आदरणीय निकोर जी

आपने मेरी जिस कविता को पूरा पढने की इच्छा व्यक्त की है वह हृदयाग्नि शीर्षक से  ब्लॉग  पर उपलब्ध है i सादर i

Comment by vijay nikore on July 17, 2014 at 5:22am

//जीवन की निराशाओं को आपने जो शब्द दिये हैं वो क़ाबिले तारीफ है//

रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय भाई गिरिराज जी।

Comment by vijay nikore on July 17, 2014 at 5:19am

//पुरानी यादें और अकेले पन के दर्द की जीती जागती तस्वीर आपकी ये रचना//

रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीया राजेश जी।

Comment by vijay nikore on July 17, 2014 at 5:15am

//कम शब्दों में यथार्थ बयाँ किया है आपने आदरणीय ... हार्दिक बधाई आपको इस सफ़ल रचना के लिए।//

 रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीया विन्दु जी ।

Comment by vijay nikore on July 16, 2014 at 3:57pm

//बेहद मार्मिक रचना ...इतना प्रेम और वो भी इस तरह ...

बहुत खुबसूरत और दिल छु लेने वाली रचना है...आपकी सोच और लेखन को नमन .....//

रचना इस प्रकार आपके मन तक पहुँच सकी, और आपने इसको इतना मान दिया...

मैं आपका आभारी हूँ, आदरणीया प्रियंका जी।

Comment by vijay nikore on July 16, 2014 at 3:50pm

आदरणीय गोपाल नारायन जी, धन्यवाद। आपकी पूरी रचना पढ़ने को मन है।

Comment by vijay nikore on July 16, 2014 at 3:48pm

//सरल शब्द संयोजन एवं सुंदर प्रवाह इसकी विशेषता है//

रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय सुशील जी।

Comment by vijay nikore on July 16, 2014 at 7:12am

//हृदयस्पर्शी और सुन्दर रचना//

रचना पर आपकी उपस्थिति के लिए और सराहना के लिए आभारी हूँ, आदरणीय लक्ष्मण जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय जयनित कुमार मेहता जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की इस्लाह क़ाबिले गौर…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार कीजिये बहुत कुछ सीखने को मिलता है…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह से और भी निखर गयी…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय जयनित जी नमस्कार बहुत शुक्रिया आपका सादर"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बहुत शुक्रिया आपका, सुधार की कोशिश की है। सादर"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय अमित जी नमस्कार बहुत शुक्रिया आपका बारीक़ी से ग़ज़ल की त्रुटियाँ समझाने और इस्लाह के…"
1 hour ago
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय ऋचा जी, सादर नमस्कार! तरही मुशायरे में ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है, बाकी अमित जी ने…"
2 hours ago
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, सादर नमस्कार! तरही मुशायरे में ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है, ग़ज़ल को थोड़ा…"
2 hours ago
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, आदाब! उम्दा ग़ज़ल से तरही मुशायरे की शुरुआत करने पर हार्दिक बधाई आपको।"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"जी आदरणीय बहुत अच्छी इस्लाह है। बहुत बहुत शुक्रियः"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service