ये तो गूंगों की नगरी है भैया जी
सरकार हमारी बहरी है भैया जी
दंगों में दोस्त दोस्त क्यों मरते हैं
प्यार मुहब्बत भी बकरी है भैया जी
राजा को वनवास कहाँ अब मिलता है
आस लगाये अब शबरी है भैया जी
दिखावटी का अफ़सोस जताता है वो
वो शख्स बड़ा ही शहरी है भैया जी
कुछ खत जले कहीं जब शहनाई गूँजी
आशिक की डूबी गगरी है भैया जी
मौलिक व अप्रकाशित
गुमनाम पिथौरागढ़ी
Comment
बलवे में दोस्त यार ही क्यों मरते हैं
प्यार मुहब्बत भी बकरी है भैया जी
सर वाकई ध्यान से हट गयी थी ये बात शुक्रिया सर
दंगों में दोस्त-दोस्त क्यों मरते हैं और बलवे में दोस्त-दोस्त क्यों मरते हैं में तक्तीह करने पर क्या अंतर पड़ जायेगा ?
आदरणीय, दोस्त का भार २ १ होता है नकि २ २ .. परेशानी यहाँ है, सर..
सर कुछ नया जोड़ रहा हूँ,,,
बलवे में दोस्त दोस्त क्यों मरते हैं
प्यार मुहब्बत भी बकरी है भैया जी
जी, गलत हैं .. .
दंगों22 में दो22 स्त दो22 स्त क्यों22 मरते22 हैं
sir kya main galat hoon?
राजा को वनवास कहाँ अब मिलता है
आस लगाये अब शबरी है भैया जी ... बहुत खूब !
दोस्त-दोस्त वाले शेर के उला पर एक बार फिर से संयत हो लें, आदरणीय
बेहतरीन, क्या खूब शे'र कहे है..भैया जी :-)) दिली बधाइयाँ आपको
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