कभी कभी
सोचती हूँ मैं
जब हाथ भरा है लकीरों से
कुछ तो मतलब होगा इसका
हरेक के कोई मायने होंगे
कौन कौन सी लकीर किस किस तक़दीर के नाम
यह तो बताये कोई
मुझे समझाए कोई
सुना था...
हाथों की चंद लकीरों का
यह खेल है बस तकदीरों का
अपने हाथ में लकीरें तो बहुत हैं
पर तक़दीर शायद रूठ गई है
आप ठीक कहते थे
बदल जाती हैं तकदीरें
अगर मेहनत से हाथ की लकीरें बदल दी जाएँ
इसीलिए करती हूँ कोशिश
चमकाने की उन लकीरों को
अपनी हिम्मत से ,
मेहनत से ,
जज्बे से
.......................................................................
जो मिलता है मुझे अपनों से
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
इस उत्तम प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत हार्दिक बधाई आ० सविता बहन .
सुन्दर ..बहुत सुन्दर ....बधाई आप को
जितेन्द्र भाई हार्दिक आभार
जवाहर लाल जी तह दिल से शुक्रिया
हार्दिक आभार आदरणीय आमोद कुमार जी
आदरणीय विजय निकोर जी हार्दिक आभार ,स्नेह बनाये रखें
महिमा श्री जी शुक्रिया
आदरनीय डॉ गोपाल नारायण जी हार्दिक आभार
सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई आपको आदरणीया सरिता जी
आप ठीक कहते थे
बदल जाती हैं तकदीरें
अगर मेहनत से हाथ की लकीरें बदल दी जाएँ
इसीलिए करती हूँ कोशिश
चमकाने की उन लकीरों को
अपनी हिम्मत से ,
मेहनत से ,
जज्बे से
.......................................................................
जो मिलता है मुझे अपनों से
सुन्दर प्रस्तुति!
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