For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चक्र..
चैन और बेचैन का, चक्र चले दिन रात,
सुख दुःख के ही भोग में, यह आयी बारात.
भांति भांति अनुभव किये, भांति भांति के लोग,
चार दिनन के वास्ते ,बिधि ने रचाई योग.
सब रस धरती पर मिले ,सब रस की ही खान.
एक रस बसे आकाश में,जान सके तो जान.
बाटन  वाले भी ,यहाँ लूटन वाले हज़ार,
कहीं सत्य की चाह है , कहीं झूठ दरबार.
कौन नहीं है जगत में ,राजा, रंक, फकीर ,
कहीं बसत बहेलिया,कहीं सन्तन की   भीर.
सब आये हैं जगत में, खेल रहे निज खेल ,
एक दिन समय वो आयेगा ,छूट जाये भव  रेल.
आना जाना जगत में, रहना है दिन चार,
अपनी बोली बोल के, जाना है उसपार.
हाट लगा है बाट में ,सौदा किया अपार,
सूना सूना रह गया , सपने का संसार.
चक्की चलती रात दिन, पिस पिस हूए पिसान,
अज्ञानी धारण किये ,अब भी अपनी शान.
तप तप तपसी ने कहा , छोड़ जगत की आश ,
राम नाम जपते रहो, जब तक तन में सांस .
सत्य एक है झूठ सब , एक से हो कल्यान,
सब कुछ पाने को चला ,पा न सका नादान.
---रामेश्वर नाथ तिवारी

Views: 498

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by R N Tiwari on March 3, 2011 at 10:45am
धन्यवाद.
Comment by Abhinav Arun on March 2, 2011 at 2:29pm
जीवन का सार आपने काव्य में उड़ेल दिया मार्ग दिखाती ,सच बतलाती रचना बधाई |
Comment by R N Tiwari on March 1, 2011 at 11:49am

 

श्री गणेश जी बागी, रश्मि प्रभा जी,देवी नागरानी जी, एवं विवेक मिश्र ताहिर जी.
आप सब को    विनम्र धन्यवाद.
आर .एन. तिवारी

Comment by विवेक मिश्र on March 1, 2011 at 9:19am

हाट लगा है बाट में ,सौदा किया अपार,
सूना सूना रह गया , सपने का संसार./

सारे ही दोहे एक से बढ़कर एक लगे. हार्दिक बधाई स्वीकार करें.

क्या कविता के साथ लगा चित्र 'नीमसार' (सीतापुर) का है?

Comment by Devi Nangrani on March 1, 2011 at 4:22am
आना जाना जगत में, रहना है दिन चार,
अपनी बोली बोल के, जाना है उसपार.
Bahut hi sunder bhav bhari dohavali zindagi ki soch se buni hui..
Comment by rashmi prabha on February 28, 2011 at 7:38pm
bahut hi achhi rachna

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 28, 2011 at 7:32pm

हाट लगा है बाट में ,सौदा किया अपार,
सूना सूना रह गया , सपने का संसार.
चक्की चलती रात दिन, पिस पिस हूए पिसान,

 

वाह वाह , बेहद खुबसूरत रचना , आंचलिक  शब्दों  का प्रयोग रचना में चार चाँद लगाते है, नमन उस लेखनी को जिसने इतनी  सुंदर कविता को जन्म दिया | बहुत बहुत बधाई आर एन तिवारी जी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service