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कभी मेरी नज़रों से देखो ,

तब तुम समझोगी शायद ,
कि मेरी दुनिया कितनी हसीन है......
 
बड़ी- बड़ी खिड़कियाँ नहीं हैं ,
पर, एक झरोखा है लटका हुआ 
जिससे हर सवेरे सूरज मुझे आवाज़ लगाता है....
 
कुछ खट्टी- मीठी , चटपटी -सी यादें हैं
जीरा बट्टी की गोलियों -सी
चखते ही आँखों से पानी टपक पड़ता है.....
 
घर में सामान कम है
क्यूंकि जगह नहीं है खाली
सपने सजा रखे हैं जिंदगी ने ......
 
कुछ लिखूं जो कभी
लफ़्ज़ों की अहमियत बढ़ जाती है
प्यार की स्याही जो भरी है कलम में ......
 
बड़ी सुंदर है ये मेरी छोटी-सी दुनिया
कभी चाहो, तो आकर महसूस करना ,
या सुनो , तुम यहीं आकर बस जाना !

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Comment by Veerendra Jain on March 18, 2011 at 11:33pm
Rashmi ji , Vandana ji , Arun ji , Ashish ji , Amitesh ji..... bahut bahut shukriya rachna pasand karne aur itni hausla afzai ke liye...... dhanyawad..
Comment by अमि तेष on March 5, 2011 at 9:00pm

wah................

ydi aap ki ijaajt ho to ham bhi aap ki is sundar si duniya me aana chahege..........

Comment by आशीष यादव on March 4, 2011 at 8:37am
Kisi bhi bat ko itne saraltam tarike se kah dena, bahut sunder lagta hai. Padh k man aahllad se bhar uthata hai.
Comment by Abhinav Arun on March 2, 2011 at 1:51pm

बहुत खूब वीरेंद्र जी ,भाव परक रचना -

बड़ी सुंदर है ये मेरी छोटी-सी दुनिया
कभी चाहो, तो आकर महसूस करना ,
या सुनो , तुम यहीं आकर बस जाना !
ये पंक्तियाँ बेहद स्वाभाविक और दिल को छूने वाली हैं बधाई !!!
Comment by rashmi prabha on March 2, 2011 at 12:46pm
कुछ खट्टी- मीठी , चटपटी -सी यादें हैं
जीरा बट्टी की गोलियों -सी
चखते ही आँखों से पानी टपक पड़ता है.....
 खुशनुमा ख्याल 
Comment by Veerendra Jain on March 1, 2011 at 7:49pm
Dhanyawad ... Amitesh ji...
Comment by अमि तेष on March 1, 2011 at 7:21pm
wah
Comment by Veerendra Jain on March 1, 2011 at 7:17pm
Akhileshwar ji.... kavita aapke hriday ko chu gayi to likhna sarthak hua mera... bahut bahut dhanyawad...
Comment by Veerendra Jain on March 1, 2011 at 7:16pm

Ganesh ji...aapko kavita pasand aayi, jaankar behad khushi hui...hardik aabhar....

 

Comment by Veerendra Jain on March 1, 2011 at 7:13pm
Vivek ji.... kavita pasand karne ke liye bahut bahut aabhar...

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