प्रिये , सुनती हो !
मैने सुना है आक्सीजन और हाईड्रोजन तैयार हो गये हैं
अपने ख़ुद के अस्तित्व खो देने के लिये
और एक रासायनिक प्रक्रिया से गुजरने के लिये
ताकि मिल पायें एक दूसरे से ऐसे, कि फिर कोई यूँ ही जुदा न कर सके
और बन सके पानी , एक तीसरी चीज़
दोनो से अलग
प्रिये,सुनती हो !
अब वो पानी बन भी चुके हैं
कोई सामान्यतया अब उन्हे अलग नही कर पायेंगे
अच्छा हुआ न ?
प्रिये , सुनती हो !
क्यों न हम भी तैयार हो जायें
प्रेम में अपने अपने अस्तित्व को भुलाने के लिये
अपना अपना अहं छोड़ने के लिये
ताकि गुज़र सकें एक रासायनिक प्रक्रिया से ,
जिसे पाणिग्रहण संस्कार कहते हैं
ताकि बन सके एक तीसरी चीज़ , परिवार
प्यारा परिवार
ता कि अलग न कर सकें कोई किसी सूरत
प्रिये सुनती हो !
*****************************************
मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
आदरणीया मीना की , आपका शुक्रिया |
आदरनीय बड़े भाई विजय जी , आपने रचना का अनुमोदन कर मेरी रचना को सार्थक कर दिया | सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार
बहुत बहुत सुन्दर ..सादर बधाई
एक दम अनूठा स्वाद है इस रचना का। आपकी कल्पना को नमन और आपको बधाई, आदरणीय भाई गिरिराज जी।
आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी रचना को आपका आशीष मिला तो रचना सार्थक हुई , आपका आभारी हूँ |
आदरणीय राम भाई , आपका बहुत शुक्रिया ||
आदरणीय सौरभ भाई , एक प्रयोग के तौर पर की गयी रचना को आपका अनुमोदन मिला तो मन बड़ा उत्साहित हुआ | सराहना के लिए आपका आभारी हूँ |
मित्र
कालेज में पढा था i वह फार्मूला अभी तक दिमाग में है पर इससे कविता बन सकती है यह आपने दिमाग में डाला i सुभान अल्लाह i
वाह बहुत ही सुन्दर मिश्रण हार्दिक बधाई आपको आदरणीय गिरिराज जी । । सादर
एच-टू-ओ का यौगिक आज एक नया विस्तार पा गया ! इस अनूठी कविता के लिए बधाई, आदरणीय गिरिराज भाईजी.. :-)))
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