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१-

जहाँ अश्रु की बूँदें

रोने वालों के दुखों को,

दुखों की सान्ध्रता को

कम कर देती है

 

वहीं पर यही अश्रु बूँदें

रोने वालों से भावनाओं से जुड़े

उनके अपनों को

बेदम भी कर देती है

 

२-

संयत नहीं हो पाए अगर आप

अपने भाव के साथ

तो वही भाव,

कहे गये शब्दों के अर्थ बदल देता है

 

और वहीं

अगर आप सही नहीं समझ पाए शब्दों को

तो शब्द,

आपके चहरे से प्रकट

भावों के अर्थ बदल देता है

**************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 24, 2014 at 10:58pm

आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , रचना के अनुमोदन के लिए आपका आभार |

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 23, 2014 at 11:48am

मित्र

दूसरी क्षणिका तो बस कमाल  है i

लाजवाब  !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 22, 2014 at 4:47pm

आदरणीय सौरभ भाई , रचना के अनुमोदन के लिए आपका हार्दिक आभार | भाव को भावों कर लूंगा | व्याकरणीय त्रुटि दूर करवाने के लिए आपका शुक्रिया |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 22, 2014 at 1:13am

दोनों क्षणिकायें सार्थक हुई हैं, आदरणीय !

दूसरे में शब्दों के समानान्तर शब्द आया है, लेकिन वह बहुवचन का ही है. अतः अंतिम पंक्ति भावों के अर्थ बदल देते हैं होना चाहिये.

इस वैचारिक प्रस्तुतिके लिए हार्दिक बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 21, 2014 at 9:28pm

आदरणीय बड़े भाई विजय जी , रचना के अनुमोदन के लिए आपका आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 21, 2014 at 9:27pm

आदरणीय विजय मिश्र भाई , रचना को आपका अनुमोदन मिला तो रचना का माँ बढ़ गया | आपकी सराहना के लिए बहुत आभार |

Comment by vijay nikore on August 21, 2014 at 2:57pm

सत्य कथन । बधाई, आदरणीय गिरिराज जी।

Comment by विजय मिश्र on August 21, 2014 at 12:27pm
भाव संप्रेषण पर सुंदर विश्लेषण इन दो क्षणिकाओं द्वारा व्यक्त किया और फिर शव्द की संवेदना और इसकी अभिव्यक्ति के द्वन्द्बोध को भी समर्थ रूप से समझाया | अतिसुन्दर गिरिराजजी |

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 20, 2014 at 9:22pm

आदरनीया सविता जी , सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 20, 2014 at 9:22pm

आदरणीय लक्ष्मण लाड़िवाल भाई , रचना के अनुमोदन के लिये आपका दिली आभार ।

कृपया ध्यान दे...

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