मिले है आज हम दोनो हसीं इक शाम हो जाये
कसम दो तोड़ तुम उसकी चलो इक जाम हो जाये
पड़ा सूखा मरे भ्ूाखो नहीं कोई हमें पूछे
कही ऐसा न हो यारो कि कल्लेआम हो जाये
नहीं रखते कभ्ाी धीरज किसी भी काम में यारो
बचा लो नाम तुम मेरा न वो बदनाम हो जाये
तुम्हारे प्यार में जानम मरेगें डूब कर सुन लो
मरा पागल दिवाना है न चरचा आम हो जाये
मिलेगा अब नहीं जीवन मिला इक बार जो तुमको
करो कुछ काम अब ऐसा तुम्हारा नाम हो जाये
मौलिक एवं अप्रकाशित
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खूब सूरत ग़ज़ल
उम्दा भाव रचित गजल के लिए बधाई श्री अखंड गहमरी जी
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