For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अब खतरनाक हो गया बादल
या कहें बेलगाम है पागल

कोई तो इन्द्र को ये समझाये,
कर रहा है किसान को घायल

आसमाँ ने कहा शराबी है,
मेघ नाचे है बाँध कर पायल

ओ रे मूर्ख खडी फ़सल को देख,
बालियों में है धूधिया चावल

गडगडाहट करे, डराये है,
बिजलियाँ हो रही तेरी कायल

.
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 493

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सूबे सिंह सुजान on September 6, 2014 at 9:47pm

 Sulabh Agnihotri ,  भाई साहब आपका आभार , हां आपने मूर्ख को मूरख करने की सलाह देकर , मेरी गल्तियों को याद दिलाया , बहुत शुक्रिया 

Comment by सूबे सिंह सुजान on September 6, 2014 at 9:43pm

laxman dhami ,  आभार भाई साहब...... 

Comment by सूबे सिंह सुजान on September 6, 2014 at 9:43pm

 गिरिराज भंडारी,   आपका आभार   

Comment by Sulabh Agnihotri on September 6, 2014 at 5:34pm

इस बहुत अच्छी गजल के लिए बधाई कुबूल करें।
गजल में मिट्टी की सांधी महक है - जो कि आम तौर पर गजलों में नहीं होती साथ ही जबरिया उर्दू का छौंक नहीं है इसलिए आम हिन्दी पाठक को सहज समझ में आनी वाली है।
कृपया चैथे शेर में मूर्ख की जगह मूरख लिखिये।
बाकी अल और यल की बात तो हो ही चुकी है।
पुनः बधाई !

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 5, 2014 at 11:59am
आदरणीय भाई सुबे सिंह जी, गजल अच्छी हुई है हार्दिक बधाई ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 5, 2014 at 10:42am

आदरणीय सूबे सिंह भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है , मौसम के अनुकूल , आपको दिली बधाइयाँ

Comment by सूबे सिंह सुजान on September 4, 2014 at 9:34pm

 Dr Ashutosh Mishra,  आदरणीय, आपका बहुत बहुत धन्यवाद.....

आपकी बात सही है अल   व यल....में मैं गलती कर बैठा हूँ । आपने चिन्हित करके बताया, शुक्रिया

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 4, 2014 at 1:00pm

आदरणीय सूबे सिंह जी इस सुंदर ग़ज़ल के लिए तहे दिल बधाई ..बस काफिया में अल और यल मुझे थोडा अटपटा लग रहा है बैसे इस पर बिद्व्त जनों की प्रतिक्रिया मिलने पर सही जानकारी मिलेगे सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदरणीय शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। शीर्षक लिखना भूल गया जिसके लिए…"
5 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"समय _____ "बिना हाथ पाँव धोये अन्दर मत आना। पानी साबुन सब रखा है बाहर और फिर नहा…"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक स्वागत मुहतरम जनाब दयाराम मेठानी साहिब। विषयांतर्गत बढ़िया उम्दा और भावपूर्ण प्रेरक रचना।…"
11 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
" जय/पराजय कालेज के वार्षिकोत्सव के अवसर पर अनेक खेलकूद प्रतियोगिताओं एवं साहित्यिक…"
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हाइमन कमीशन (लघुकथा) : रात का समय था। हर रोज़ की तरह प्रतिज्ञा अपने कमरे की एक दीवार के…"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आदरणीय विभारानी श्रीवास्तव जी। विषयांतर्गत बढ़िया समसामयिक रचना।"
12 hours ago
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123विषय : जय/पराजय आषाढ़ का एक दिन “बुधौल लाने के…"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आपकी रचना का। प्रदत्त विषयांतर्गत बेहद भावपूर्ण और विचारोत्तेजक कथानक व कथ्य…"
20 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service