विधान : 7 सगण + 1 एक रगण (कुल 24 वर्ण )
घन राति अमावस पावस की तम तोम म बैठि गुजारा करूँ I
गुनिकै मन मे रतनाकर के जल नील क नक्श उतारा करूँ I
सुषमा नभ की अवलोकि सदा मन में यहु भाव विचारा करूँ I
जग माहि रचा व बसा प्रभु का वह रूप अनूप निहारा करूँ I
* * *
करि सम्पुट नैन भली विधि सों, प्रभु को धरि ध्यान निहारा करूँ I
कछु भक्ति करूँ, कछु ध्यान धरूँ, तन छार करूँ, मन मारा करूँ I
जब प्रेम सुपीर जगै उर में तब जाय क रंचु सहारा करूँ I
प्रभु चंद्रहि चातक की तरियो वह रूप अनूप निहारा करूँ I
(मौलिक व अप्रकाशित )
Comment
आदरणीय सौरभ जी
आपका कथन सत्य है i गुजारा करू में रा पर जोर न होने से (राकरू) रकरूं भी सगण हुआ और सवैय्या दुर्मिल i सादर i
आदरणीय गोपाल नारायनजी, आपकी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद. किन्तु, वैधानिक रूप से क्या इस दण्डक का कोई नाम है ? मुझे नहीं लगता.
आदरणीय, सगण की आठ आवृतियाँ दुर्मिल सवैया का कारण बनती हैं. इस सवैया के अंत के एक सगण को परिवर्तित किया जाय तो सगणात्मक सवैये के अन्य सवैये, यथा, सुन्दरी, अरविन्द, सुख, सुखी सवैया के वर्णक्रम बनते हैं.
आपकी प्रस्तुति में भी अंत का रगण आरोपित ही है, आदरणीय.
तभी गुजारा, उतारा, विचारा, निहारा आदि-आदि तुकान्त शब्दों का अंतिम अक्षर ’रा’ गुरु की तरह उच्चारित न हो कर लघु की तरह उच्चारित हो रहा है, और वर्णक्रम में आठ सगण की आवृति यानि दुर्मिल सवैया का भ्रम हो रहा है.
सादर
मित्र गिरिराज जी
आपका स्नेह यूँ ही मिलता रहे i सादर i
राम शिरोमणि जी
आपका आभार i आपकी जिज्ञासा कुछ अस्पष्ट सी है i जहाँ तक मै समझा हूँ रूप अनूप निहारा करूं को बार बार दोहराने के औचित्य की बात है i तो मित्र आप ऐसा हजार बार कर सकते है -यह तो एक टेक मात्र है i आधुनिक रसखान ने ऐसे कई सवैय्ये रचे हैं i सस्नेह i
आ. बड़े भाई गोपाल जी , बहुत सुन्दर प्रवाह मयी सवैया की रचना हुई है , आनंद आ गया पढ़ के , आपको दिली बधाइयाँ |
सुलभ जी
आपका शत-शत आभार i
श्याम नारायन जी
आपका बहुत बहुत आभार i
अखिलेश जी
आपके अनुमोदन से प्रसन्नता हुयी I मुझे कोई शब्द कठिन लगा नहीं तो अर्थ देना जरूरी नही समझा i पर आगे आपकी सलाह पर अमल करूंगा i आपको पता है कि सवैय्या आदि में न ने हो सकता है यदि उच्चारण पर जोर न हो i पर आलोचकों की दुनिया बड़ी निराली है i उन्हें भी देखना पड़ता है i आप जैसे जानकर का अनुमोदन मेरे लिए प्रेरणा की वस्तु है i सादर i
नीरज जी
आपके प्रोत्साहन का आभारी हूं i सादर i
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