मौत का सघन साया
अनुभूति बनकर आया
मेरे अंतिम क्षणों में I
*
यह आत्मीयता प्रदर्शन
करुणा का कलित क्रंदन
चीत्कार आर्त्त रोदन
या नाट्य अभिनय मंचन
.
इसे देख जी में आया
छोडूं न अभी काया
मेरे अंतिम क्षणों में I
*
सर्वांग व्यथित परिजन
सूने उदास से मन
इतना असीम कम्पन
तब था न जब था जीवन
.
यह मोह है या माया
कुछ कुछ समझ में आया
मेरे अंतिम क्षणों में I
*
वक्रोक्ति व्यंग्य दंशन
हासोपहास लांछन
सहता रहा था जो मन
क्या यही प्रकृत जीवन ?
.
कोई न जान पाया
प्रभु ने मुझे जगाया
मेरे अंतिम क्षणों में I
(मौलिक व अप्रकाशित )
Comment
निकोर सर
आपका कोटि-कोटि आभार i
सीमाहरी जी को बहुत बहुत आभार i
आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , जो कुछ भी समझा नहीं आया , या हम स्वयं समझना नही चाहे जीवन भर किसी अहम् के वशीभूत , अन्तिम क्षणों में जीवन स्वयं समझा देता है , पर समय नहीं रहता उस समय , ऐसी मेरी भी मान्यता है | ऐसा ही कुछ आपकी रचना से महसूस हुआ | रचना के लिए बहुत बधाइयां , आदरणीय |
नीरज कुमार जी
प्रोत्साहन के लिए शुक्रिया i
बहुत सुंदर नवगीत ...
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति.. आदरणीय ... बधाई सादर!
आदरणीय निकोर जी
आपका आशीष पाकर ह्रदय गदगद हो गया i सादर i
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