For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा : बंद गली (गणेश जी बागी)

                  नंद वन अपने नाम के अनुसार ही आनंद पूर्ण वातावरण के लिए जाना जाता था, सभी जानवर शांति और भाईचारा से जीवन व्यतीत करते थे किन्तु अब यहाँ सब कुछ बदल गया था, कालू भेड़िया और दुर्जन भैस राजा की छत्र - छाया में आनंद वन में अत्याचार कर रहे थे, यहाँ तक की दिनदहाड़े ही बहु बेटियों को अपने अड्डे पर उठा ले जाते थे और विरोध करने वालों को जान से मार देते थे ।
                 भोलू हिरन की पत्नी को भी कालू और दुर्जन ने अपने गुंडों के साथ आकर सबके सामने उठा ले गए, भोलुआ कुछ न कर सका । शिकायत लेकर भोलुआ संतरी से लेकर मंत्री तक गया किन्तु कई दिन बीतने के बाद भी कोई सुनवाई न हो सकी ।
                "आनंद टाइम्स" में आज की हेड लाइन थी, "कालू और दुर्जन की हत्या, भोलुआ नक्सलियों में शामिल" 

(मौलिक व अप्रकाशित)

पिछला पोस्ट => लघुकथा : बदलाव

Views: 1140

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 12, 2015 at 1:51am

पकड़ी समस्या की नब्ज़ 

Comment by विजय मिश्र on October 6, 2014 at 1:18pm
आत्मा कितनी विगलित होती होगी ,शासन और सत्ता की नकारात्मक प्रवृत्ति और उपेक्षा किसप्रकार के हताशा को अंकुरित करती होगी कि एक सज्जन अपने लाचारियों से कुंठित हो ,संस्कारों को ताक पर रख कुत्सितता और बर्बरता को विवश होता होगा |सुंदर और प्रेरक कथा हेतु बधाई बागीजी

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 4, 2014 at 9:09pm

आभार सविता मिश्रा जी। 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 4, 2014 at 9:08pm

आदरणीय विजय प्रकाश शर्मा  जी, आपकी प्रतिक्रिया पढ़ मन प्रसन्न है, बहुत बहुत आभार। 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 4, 2014 at 9:08pm

आदरणीय गिरिराज भाई साहब, आपकी समीक्षात्मक टिप्पणी उत्साहवर्धन करती है, बहुत बहुत आभार प्रेषित है। 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 4, 2014 at 9:05pm

आदरणीय जीतेन्द्र जी, लघुकथा पर आपकी प्रतिक्रिया प्रोत्साहित करती है, बहुत बहुत आभार। 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 24, 2014 at 11:49am

आदरणीय भाई सत्यनारायण जी, लघुकथा पर आपकी उत्साहवर्धन करती टिप्पणी पढ़ अच्छ लगा, बहुत बहुत आभार प्रेषित करता हूँ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 24, 2014 at 11:46am

आदरणीय अग्रज लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला जी, लघुकथा पर आपकी विवेचनात्मक टिप्पणी पढ़ मन मुग्ध है, आशीर्वाद बनाये रखें, सादर।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 24, 2014 at 11:45am

लघुकथा पसंद करने हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय जीतेन्द्र जी।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 24, 2014 at 11:43am

लघुकथा को सराहने हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
16 hours ago
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
22 hours ago
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service