For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"आये कोई जगाये मुझे"

आये कोई जगाये मुझे।
ज़िन्दा भी हूँ बताये मुझे।।1

हँसना मानों भूल गया हूँ।
आये कोई रुलाये मुझे।।2

उसे कभी भूल न पाउँगा।
उससे कहो भुलाये मुझे।।3

हमारे बीच कुछ बाकी हो।
नफ़रत हो गर जताये मुझे।।4

गर मैं एकलौता चिराग हूँ।
धुंध में कहीं जलाये मुझे।।5

वादा ना रोने का हो तो।
आये फिर गले लगाये मुझे।।6
*************************
राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 649

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on September 28, 2014 at 11:13pm
बहुत बहुत आभार आदरणीय विजय मिश्र जी।
सादर
Comment by ram shiromani pathak on September 28, 2014 at 11:11pm
बहुत आभार आपका आदरणीय विजय जी।। सादर
Comment by ram shiromani pathak on September 28, 2014 at 11:10pm
जीतेन्द्र भाई बहुत आभार आपका।। सादर
Comment by vijay nikore on September 27, 2014 at 1:46pm

अति सुन्दर। बधाई।

Comment by विजय मिश्र on September 26, 2014 at 5:26pm
वाह राम शिरोमणिजी , सुंदर ,बधाई
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 25, 2014 at 10:40pm

सुंदर गजल कही. सभी शे र बहुत पसंद आये. बधाई आदरणीय राम भाई

Comment by ram shiromani pathak on September 25, 2014 at 7:59pm
बहुत बहुत आभार आदरणीय आशुतोष जी।। सादर
Comment by ram shiromani pathak on September 25, 2014 at 7:57pm
बहुत बहुत आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी।। सादर
Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 25, 2014 at 7:37pm

आदरणीय इस शानदार ग़ज़ल पर आपको हार्दिक बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 25, 2014 at 6:59pm

गर मैं एकलौता चिराग हूँ।
धुंध में कहीं जलाये मुझे।।5----क्या बात 

वादा ना रोने का हो तो।
आये फिर गले लगाये मुझे।।6---बहुत सुन्दर 

बहुत- बहुत बधाई इस सुन्दर प्रस्तुति पर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service