For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'दीप जलाएँ....

मावस का तम घना मिटाएँ
आओ सब मिल
दीप जलाएँ।

महकाएँ घर आँगन द्वारे
स्वच्छ करें गलियाँ चौबारे
कटुता के सब महल ढहाएँ
हिलमिलकर यह
पर्व मनाएँ।

अम्बर का तम मिट ना पाया
अनगिन तारे थाल सजाया
तम की शिला भेद जो पाएँ
दीप माल से
धरा सजाएँ।

घर जो उजियारे को तरसे
माँ लक्ष्मी की कृपा यूँ बरसे
दीप पर्व वो सभी मनाएँ
खील बतासे
ना मुरझाएँ।
आओ मिल सब
दीप जलाएँ।
सीमा हरि शर्मा 07.10.2014
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 731

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by seemahari sharma on October 13, 2014 at 5:29pm
बहुत बहुत धन्यवाद Meena Pathak जी। इसी तरह अपना स्नेह बनाएं रखें।
Comment by seemahari sharma on October 12, 2014 at 11:28pm
आदरणीय Vijay Nikore जी बहुत बहुत आभार आपका आपने रचना पसंद कर प्रोत्साहित किया ।सादर
Comment by Meena Pathak on October 12, 2014 at 12:38pm

आओ सब मिल दीप जलाएं ................बहुत सुन्दर रचना , हार्दिक बधाई आदरणीया सीमा जी 

Comment by vijay nikore on October 12, 2014 at 12:15pm

दीपावली के अवसर पर आपकी यह रचना अच्छी लगी। हार्दिक बधाई, आदरणीया सीमा जी।

Comment by seemahari sharma on October 8, 2014 at 11:40pm
आदरणीय शिज्जु "शकुर"जी बहुत बहुत आभार आपने रचना को सराहा।
Comment by seemahari sharma on October 8, 2014 at 11:37pm
बहुत बहुत शुक्रिया Vinod khanagwal जी।रचना ने आपको प्रभावित किया।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 8, 2014 at 10:16pm

आदरणीया सीमा जी बेहतरीन गीत लिखा है आपने बहुत बहुत बधाई हो

Comment by विनोद खनगवाल on October 8, 2014 at 5:05pm
सीमा जी बहुत ही निर्मल निमंत्रण है आपका। सारे गिले शिकवे मिटाकर मिलकर खुशियाँ मनाने का। अब क्या कहूँ मैं तो मोहित हो गया रचना पर।
Comment by seemahari sharma on October 8, 2014 at 4:51pm
आदरणीय Dr.Vijai Shankerजी बहुत बहुत आभार आपका आपने रचना को पसंद कर उत्साहवर्धन किया
Comment by seemahari sharma on October 8, 2014 at 4:47pm
भाई जितेन्द्र'गीत'जी बहुत बहुत शुक्रिया आपकी प्रतिक्रिया से संतोष मिला।पुन:शुक्रिया

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service