For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हो कितनी स्वछन्द ऐ कविता! (नवगीत 'राज')

धरती से नीले अम्बर तक

बिना किसी व्यवधान

इठलाती तितली सी चंचल

भरती रहे  उड़ान 

ना कोई सीमा ना कोई बंद

हो कितनी स्वछन्द

ऐ कविता!

कभी करुण रस से आप्लावित   

भीगे आखर से बोझिल   

कभी डूब शिंगार झील में

आती नख- शिख तक झिलमिल  

कभी गरल तू विरह का  पीती  

कभी नेह  मकरंद

हो कितनी स्वछन्द

ऐ कविता!

कभी परों पर लगा बसंती

रंग अबीर गुलाबी लाल

कहीं बिठाती दीये  पंगति

पहन हास प्रहास की माल

जीती कभी रौद्र के पलछिन

 कभी धर्म के द्वन्द

 हो कितनी स्वछन्द

 ऐ कविता!

 

विभत्स, अमेध्य लोक पंक की

हो तुम्ही शुचि निज पंकजा

मूर्त, अमूर्त, वारि से थल तक

फहराती अपनी ध्वजा

मेरी इन साँसों की मीता

ग़ज़ल तुम्ही हो छंद

हो कितनी स्वछन्द

ऐ कविता!

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

 

Views: 797

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 12, 2014 at 6:49pm

आ० विजय निकोर जी, आप जैसे संवेदन शील रचनाकार से तारीफ पाने से रचना खुद धन्य हो जाती है बहुत बहुत आभार आपका सादर .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 12, 2014 at 6:47pm

आ० मीना पाठक जी ,उत्साहित करती आपकी प्रतिक्रिया सर आँखों पर |

Comment by vijay nikore on October 12, 2014 at 12:52pm

अति सुन्दर भाव। "कविता" पर यह कविता बहुत ही अच्छी लगी। हार्दिक बधाई, आदरणीया राजेश जी।

Comment by Meena Pathak on October 12, 2014 at 12:03pm

बहुत बहुत सुन्दर ..अद्भुत रचना ..हार्दिक बधाई आदरणीया राजेश जी | सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 12, 2014 at 11:00am

प्रिय जितेन्द्र गीत भैया,नवगीत पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साह वर्धन हुआ ,दिल से आभारी हूँ | 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 12, 2014 at 10:25am

इस अद्भुत प्रस्तुति पर आपकी अनुभवी लेखनी को नमन, आदरणीया राजेश दीदी. अति सुंदर लिखा है आपने


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 10, 2014 at 8:21pm

आ० डॉ० गोपाल नारायण जी आपकी प्रतिक्रिया मेरा पारितोषिक है ,मेरी लेखनी को नव ऊर्जा देता हुआ आपका अनुमोदन सर माथे पर दिल से बहुत- बहुत आभार आपका  सादर |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 10, 2014 at 8:18pm

आ० डॉ० आशुतोष मिश्रा जी ,इसउत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया  के लिए अभिभूत हूँ मेरी लेखनी को नव ऊर्जा मिली दिल से आभारी हूँ |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 10, 2014 at 8:16pm

सोमेश कौर जी ,आपका दिल से आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 10, 2014 at 8:16pm

आ० डॉ.विजय शंकर जी ,आपका हार्दिक आभार | 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service