1222- 1222- 1222
मुनव्वर शाम के रंगीं नज़ारों में
नुमायाँ फूल हों जैसे बहारों में
कहीं कम हो न जाये बज़्म की रौनक
लगा दो कुछ दिये भी चाँद तारों में
फ़रोग़े शम्अ महफिल में लगे है यूँ
झलकता हुस्न हो जैसे हज़ारों में
लकीरें धूप की झाँके दरीचे से
सवेरा छुप के बैठा है दरारों में
न जाने रंग कितने रोज़ भर जाये
ये नूरे शम्स झीलों कोहसारों में
हवा के सामने शिद्दत से जलती लौ
यूँ हिम्मत दे गई हमको इशारों में
न रखिये हर दफ़े आरज़ू उजालों की
मिले तो मुस्तहब है रहगुज़ारों में
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
आदरणीय विजय निकोर सर रचना की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार
आदरणीया महिमा जी आपका हार्दिक आभार
बहुत ही खूबसूरत गज़ल है... हार्दिक बधाई।
न रखिये हर दफ़े आरज़ू उजालों की
मिले तो मुस्तहब है रहगुज़ारों में....वाह ....बेहद उम्दा ..हार्दिक बधाई
आदरणीय जितेन्द्र जी आपका हार्दिक आभार
आदरणीय डॉ गोपाल नारायण सर आपका शुक्रिया। माफी चाहता हूँ इस बार गलती हो गई। फ़रोग़ का अर्थ है ज्योति, कोहसार का अर्थ है पर्वतमाला।
आदरणीया राजेश दीदी आपका बहुत बहुत शुक्रिया सुझाव के लिये आभार अभी सुधार देता हूँ
आदरणीय डॉ विजय शंकर सर आपका बहुत बहुत शुक्रिया
लाजवाब गजल कही आपने आदरणीय शिज्जू जी. हर एक शेर तारीफ़ के काबिल हुआ
हवा के सामने शिद्दत से जलती लौ
यूँ हिम्मत दे गई हमको इशारों में.......बेहद सुंदर. लाखों बधाइयाँ आपको
क्या बात है ?
उर्दू के कुछ कठिन शब्द के अर्थ मिल जाते तो आनंद बढ़ जाता i इस बार आप भूल गए i पर आगे अर्थ जरूर दीजियेगा i फरोगे / कोहसार समझ में नहीं आये i पर फिर भी मजा आया i सस्नेह i
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online