For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गलती क्या थी मेरी माई.......गीत

'गलती क्या थी मेरी माई'

आज खबर एक फिर है आई
गर्भ में ही मासूम मिटाई।

पति भूला पितृत्व भी अपना
सास ससुर का 'वंश'का सपना
देख दशा नारी जीवन की
मौन मुहर उसने भी लगाई।...आज खबर

जीवन उसका लगा दाँव पर,
मृत्यु ने दस्तक दी ठाँव पर,
घबराये सब घर भर वाले,
खबर मायके तक पहुंचाई।...आज खबर

मात-पिता का फटा कलेजा,
भाई ने संदेसा भेजा,
बहना को गर कहीं हुआ कुछ,
अब खैर ना रही तुम्हारी।...आज खबर

भाभी ने आकर समझाया,
एक बरस भी बीत न पाया,
साथ यही मेरे भी किया था,
चुप क्यों हो ननदी के भाई।...आज खबर

खोलीं आँख कराह के उसने,
रूह सुता की लगी पूछने,
अश्रु पोंछकर पेट को देखा,
'गलती क्या थी मेरी माई'।...आज खबर
सीमा हरि शर्मा 19.09.2014(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 771

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by seemahari sharma on December 4, 2014 at 11:55am
बहुत आभार आ.Madan Mohan Saxena जी आपने रचना को पसंद किया
Comment by Madan Mohan saxena on December 3, 2014 at 3:11pm

बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.

Comment by seemahari sharma on November 21, 2014 at 7:31pm
ह्रदय से शुक्रिया Chaaya Shukla जी इसी तरह अपना स्नेह बनाएं रखें सादर
Comment by seemahari sharma on November 19, 2014 at 5:41pm
बहुत बहुत आभार आदरणीय Er.गणेश बागी जी और समस्त ओ बी ओ प्रबन्धन टीम का आपने मेरी रचना 'गलती क्या थी मेरी माई' को माह की सर्वश्रेष्ठ रचना के लिये चयनित किया हैं।
Comment by Chhaya Shukla on November 16, 2014 at 2:55pm

 बहन सीमा जी ,

भ्रूण हत्या पर सार्थक रचना हुई है | महीने की सर्वश्रेठ रचना चुने जाने के लिए आपको बहुत बहुत बधाई सादर

Comment by seemahari sharma on November 13, 2014 at 11:41pm
बहुत बहुत आभार Mohinder Kumar जी रचना को प्रोत्साहन देने के लिये।
Comment by Mohinder Kumar on November 10, 2014 at 12:19pm

आदरणीय सीमा जी,

भ्रूण हत्या पर सार्थक रचना के लिये बधाई.  

Comment by seemahari sharma on November 5, 2014 at 1:02am
ह्रदय से आभार Rajesh kumari जी आपने रचना को सराहा। लिखना सार्थक रहा सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 31, 2014 at 3:33pm

वाह वाह करूँ या आह्ह्ह करूँ बस क्या कहूँ आँखें सजल हो गई पढ़कर ..बहुत ही प्रभावशाली  रचना .बहुत- बहुत बधाई सीमा जी. 

Comment by seemahari sharma on October 22, 2014 at 3:33pm
बहुत बहुत आभार Shyam Narain Verma जी अपने रचना को पसंद किया।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई आजी तमाम जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक…"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय ग़ज़ल पर नज़र ए करम का जी गुणीजनो की इस्लाह अच्छी हुई है"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय मार्ग दर्शन व अच्छी इस्लाह के लिए सुधार करने की कोशिश ज़ारी है"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सहृदय शुक्रिया आदरणीय इतनी बारीक तरीके से इस्लाह करने व मार्ग दर्शन के लिए सुधार करने की कोशिश…"
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सादर प्रणाम - सर सृजन पर आपकी सूक्ष्म समीक्षात्मक उत्तम प्रतिक्रिया का दिल…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"मतला नहीं हुआ,  जनाब  ! मिसरे परस्पर बदल कर देखिए,  कदाचित कुछ बात  बने…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आराम  गया  दिल का  रिझाने के लिए आ हमदम चला आ दुख वो मिटाने के लिए आ  है ईश तू…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और मार्गदर्श के लिए आभार। तीसरे शेर पर…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"तरही की ग़ज़लें अभ्यास के लिये होती हैं और यह अभ्यास बरसों चलता है तब एक मुकम्मल शायर निकलता है।…"
6 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"एक बात होती है शायर से उम्मीद, दूसरी होती है उसकी व्यस्तता और तीसरी होती है प्रस्तुति में हुई कोई…"
6 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल अच्छी हुई। बाहर भी निकल दैर-ओ-हरम से कभी अपने भूखे को किसी रोटी खिलाने के लिए आ. दूसरी…"
6 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल अच्छी निबाही है आपने। मेरे विचार:  भटके हैं सभी, राह दिखाने के लिए आ इन्सान को इन्सान…"
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service