For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक ग़ज़ल आपके हवाले

उल्टा सीधा बोल रही है दुनिया मेरे बारे में,
अखबारों ने छापा क्या कुछ, पढना मेरे बारे में.  
.

इस दुनिया में मिल न सकेंगे अगली बार मिलेंगे हम,
अर्श को जो भी अर्ज़ी भेजो, लिखना मेरे बारे में.
.

उनकी ज़ात से वाक़िफ़ हूँ, वो बाज़ नहीं आने वाले,
सर पर लेकर घूम रहे हैं फ़ित्ना मेरे बारे में.     
.

अपने दिल में एक दीया तुम मेरे नाम जला रखना, 
आँधी जाने सोच रही है क्या क्या मेरे बारे में.
.

मज्लिस से बाहर कर बैठे, उनकी जान में जाँ आई,
लेकिन अब भी सब करते हैं चर्चा मेरे बारे में.  
.

तुमको मैंने कब तुम माना, तुम थे मेरा असली “मैं”,
झूठ कहा था तुमने मुझसे कितना मेरे बारे में.  
.

सतरंगी से ताने बाने, रब्त बुने कुछ मैंने भी,
उसने भी क्या डाल रखा था करघा मेरे बारे में.
.

जोड़ा ‘नूर’ के हर्फ़ों को तो मेरा अक्स उभर आया,
इतना कैसे जान गया वो पगला मेरे बारे में.
.
निलेश "नूर"
मौलिक व् अप्रकाशित 

Views: 671

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 23, 2015 at 3:23pm

:)


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 23, 2015 at 3:08pm

तब इन बागान में गुलमोहरों के साये थे
मिलेगी शाख पुरानी.. टहल के देखते हैं..

बात  इतनी सी है.. :-)) ..

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 23, 2015 at 2:42pm

शुक्रिया आ. सौरभ सर.
आज लगता है आप कोई दफ्न शह्र ज़िन्दा कर के ही मानेंगे. 
बहुत बहुत आभार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 23, 2015 at 2:33pm

उनकी ज़ात से वाक़िफ़ हूँ, वो बाज़ नहीं आने वाले,
सर पर लेकर घूम रहे हैं फ़ित्ना मेरे बारे में.  ..............    वाह !

अपने दिल में एक दीया तुम मेरे नाम जला रखना,
आँधी जाने सोच रही है क्या क्या मेरे बारे में....................... बहुत खूब !

मज्लिस से बाहर कर बैठे, उनकी जान में जाँ आई,
लेकिन अब भी सब करते हैं चर्चा मेरे बारे में. ....................... कौन न करे ?!!! .. :-))

तुमको मैंने कब तुम माना, तुम थे मेरा असली “मैं”,
झूठ कहा था तुमने मुझसे कितना मेरे बारे में.......................... वाह !

जोड़ा ‘नूर’ के हर्फ़ों को तो मेरा अक्स उभर आया,
इतना कैसे जान गया वो पगला मेरे बारे में. ...............................ज़वाब नहीं !!

दिल से दाद लीजिये, आदरणीय.

Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 25, 2014 at 7:32pm

शुक्रिया आलोक भाई 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 25, 2014 at 7:32pm

शुक्रिया डॉ. साहब 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 25, 2014 at 7:32pm

शुक्रिया जितेन्द्र जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 25, 2014 at 7:32pm

शुक्रिया सोमेश जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 25, 2014 at 7:31pm

शुक्रिया आदित्य जी 

Comment by Alok Mittal on October 24, 2014 at 2:01pm

वाह वाह शानदार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service