रामकिशन अपनी फसल से बहुत ज्यादा प्यार करता था. पौधों को अपने बच्चों के जैसा समझता. खेतों की साफ़-सफाई, हर काम शुरू करने से पहले पूजा-पाठ, यहाँ तक की अपनी भावुकता के कारण नन्हें-नन्हें पौधों पर कीटनाशकों का छिडकाव भी नहीं करता था. उसे यही लगता था कि इन मासूमों पर जहर का इस्तेमाल कैसे करूँ..? किन्तु ख़राब मौसम के कारण जन्मे कीट उसकी फसल को चट कर जाते. अपने हाथ कुछ न लगना और गाँव के लोगों द्वारा उसकी हंसी उड़ाना , एक दिन उसे समझ आ गया. अब रामकिशन अपनी फसलों से आमदनी का भरपूर फायदा ले रहा है..
जितेन्द्र ‘गीत’
(मौलिक व् अप्रकाशित)
Comment
आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया की हमेशा प्रतीक्षा रहती है, आदरणीय श्याम नारायण जी. स्नेह बनाये रखियेगा
सादर!
जी आदरणीय बागी जी, आपका कहना एकदम सही है. पल भर का दर्द जीवन को सुरक्षित रखने के बड़ा काम आता है. आपकी उपस्थिति से हमेशा लेखनी का मनोबल बढता है, अपना स्नेह व् मार्गदर्शन हमेशा बनाये रखियेगा
सादर!
अति सुन्दर लघु कथा। बधाई। |
बच्चों को भी स्वस्थ रखने हेतु दर्द युक्त टीका दिलाना ही पड़ता है, अच्छी लघुकथा, बधाई आदरणीय जितेंद्र जी।
आपका ह्रदय से आभारी हूँ, आदरणीय शुशील जी. स्नेह बनाये रखियेगा
सादर!
आपका कहना एकदम उचित है आदरणीय डा.गोपाल जी. 'आवरण' से मेरा तात्पर्य एसी परत जो प्रतिकूल वातावरण में सुरक्षा दे. आपकी उपस्थिति व् स्नेहिल मार्गदर्शन से हमेशा मुझे मनोबल मिला है आपका ह्रदय से आभारी हूँ, सर. स्नेह बनाये रखियेगा
सादर!
एक सन्देश छुपाये सुंदर लघु कथा .... हार्दिक बधाई जितेन्द्र पस्टारिया जी
जीतू भैय्या
इस कहानी का शीर्षक मेरी समझ से 'समझ' होना चाहिए था जो कथा नायक को काफी नुक्सान उठाने के बाद आयी i सुन्दर कथा i बधाई i
कथा में एक सन्देश है। प्रिय जीतेन्द्र जी , कथा अच्छी है , बधाई।
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