"यार मैं एक लड़की से प्यार करता हूँ "-सुजीत ने अपने दोस्त विपिन से कहा |
"प्यार, यार आजकल तो प्यार का ज़माना कहाँ हैं,बस मजे ले और उसे छोड़ दे"-विपिन ने उसे समझाते हुए कहा |
"पर ,यार मैं उस से प्यार करता हूँ,मैं किसी के साथ धोका नही कर सकता हूँ "-सुजीत ने उदास होते हुए कहा | विपिन -"यार इसी में तो मजा है ,खैर कौन है वो लड़की मैं भी तो जानूँ "
सुजीत-"तेरी बहन ,यार "
इतना सुन कर विपिन कुछ न बोल सका | उसे एक बड़ी सीख मिल चुकी थी |
"मौलिक व अप्रकाशित "
Comment
आपका भी हार्दिक धन्यवाद् ,,,आ. अर्चना जी |
रचना को सराहने के लिए धन्यवाद् ,सोमेश जी|
अपने पे आते ही ऐसा ही होता है |सुंदर प्रयास
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