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बादे मुद्दत फिर मुझे वो याद आयी है!
फिर किसी ने फूल से तितली उडाई है!!- बहुत खूब
फिर चुभा है दिल में मेरे याद का कंकड!
फिर से उसने आतमा मेरी दुखाई है!! -----वाह
इसमें उसकी कुछ ख़ता ना है जमाने सुन!--- कुछ खता उसकी नहीं इसमें जमाने सुन
दरअसल इस वक्त और मुझमें लडाई है!!---- दरअसल अब वक्त से मेरी लडाई है
राख बनकर उड गये दिल जाँ जिगर अरमाँ!
इस तरह उसने मेरी चिट्ठी जलाई है!! ---- वाह वाह
बहुत अच्छी रचना . बहुत बहुत बधाई
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