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आदरणीय गिरिराज भंडारी सर बात बहुत अच्छे से समझाई है बहुत काम की बात... अं आँ के काफिया निर्धारण में सावधानी वाकई अनिवार्य है
आदरनीय राहुल भाई , सरज़मीं दर असल सर ज़मीन का छोटा कर बनाया शब्द है , उर्दू मे न हटा कर ऊपर बिन्दी लगाने की कई जगह छूट है , जैसे मकान को मकां आदि , सरजमीं मे काफिया ई नही, ईं है , बाकी काफिया आपने ई लिया है । शायद बात समझा सका होऊँ ।
ये नशेमन है मेरी आहों के!
ये तेरी बेरुखी के पन्ने हैं!!------------- vaah vaah -----kya baat hai !
आदरणीय राहुल भाई , अच्छी गज़ल हुई है , हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें ।
बाक़ी बातें आदरणीय सौरभ भाई के कह दी है , एक बात और --
शायरी , बेरुखी , खामुशी के साथ - सरज़मीं , काफिया नही लिया जा सकता , इसे सुधार लीजियेगा ।
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