For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मौत ने काटी फसल और जिंदगी बोती रही

रात में फुटपाथ पर इक बेबसी रोती रही,
लोग तो जागे मगर संवेदना सोती रही,

शाम होते ही जमीं पर तीरगी छाने लगी,
आसमानों में सुबह तक रोशनी होती रही,

याद की चादर वो अपने आंसुओं की धार से,
दर्द की कालिख मिटाने के लिए धोती रही,

किसलिए इतनी मशक्कत, जब उसे पीना नहीं
शहद मधुमक्खी न जाने किसलिए ढोती रही

ऐ खुदा तेरी खुदाई का सबब ये भी मिला,
मौत ने काटी फसल और जिंदगी बोती रही।।

.

(अतुल)
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 938

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 28, 2015 at 10:29am

आपकी ग़ज़ल बहुत अच्छी लगी शानदार मतला हुआ है एनी शेर भी प्रभाव शाली हैं ,एक दो बात कहना चाहूंगी ....

शाम होते ही जमीं पर तीरगी छाने लगी,
आसमानों में सुबह तक रोशनी होती रही,-----यहाँ आसमानों बहु वचन में लिया गया है जो ठीक नहीं है ,इसको कुछ इस तरह भी कह सकते हो ...आसमा में अल/फिर ...या जो आप ठीक समझे ...वैसे ग़ज़ल में सही शब्द सुब्ह होता है  अर्थात २१ ,फिर भी शायर सुबह भी लिख देते हैं  

शहद मधुमक्खी न जाने किसलिए ढोती रही----ये शेर बहुत आला दर्जे का है ,किन्तु शहद १२ होगा आपने इसे २१ में बाँधा  है 

ये कुछ महीन त्रुटी दुरुस्त करलें ग़ज़ल और निखर उठेगी 

आपको इस शानदार ग़ज़ल के लिए बहुत- बहुत बधाई 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 28, 2015 at 7:06am

aadarneeey atul jee behtareen ghazal 

किसलिए इतनी मशक्कत, जब उसे पीना नहीं
शहद मधुमक्खी न जाने किसलिए ढोती रही yah sher to kamaal ka hai madhumakkhee to bilkul bhee upyog nahee kartee par shayad ye uske navjaaton ke liye hota hai 

याद की चादर वो अपने आंसुओं की धार से,
दर्द की कालिख मिटाने के लिए धोती रही,...yah sher bhee umda hai ..meri taraf se dher saaree badhaaayee sweekar karein saadar 

Comment by ajay sharma on January 27, 2015 at 10:06pm

किसलिए इतनी मशक्कत, जब उसे पीना नहीं
शहद मधुमक्खी न जाने किसलिए ढोती रही.......................nihayat hi khoobsoorat priyog kiya hai apne .....

Comment by atul kushwah on January 27, 2015 at 6:28pm

आदरणीय खुर्शीद खैरादी भाई जी, स्नेह बनाए रखें। बहुत—बहुत आभार आपका। सादर

Comment by atul kushwah on January 27, 2015 at 6:27pm

आदरणीय लक्ष्मन धामी भाई, आपकी प्रतिक्रिया से उत्साह और खुशी हुई। स्नेह बनाए रखें। सादर

Comment by atul kushwah on January 27, 2015 at 6:25pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी सर, अबोध प्रयास को अशीषने के लिए आभार। सादर—अतुल

Comment by atul kushwah on January 27, 2015 at 6:24pm

आदरणीय राहुल दांगी भाई जी, बहुत—बहुत आभार आपका। सादर— अतुल

Comment by atul kushwah on January 27, 2015 at 6:23pm

आदरणीय सुनीता जी, उत्साह बढाने के लिए शुक्रिया, आभार। सादर

Comment by atul kushwah on January 27, 2015 at 5:28pm

आदरणीय मिथिलेश बामनकर भाई, आपके सुझाव और आदेश शिरोधार्य। मैंने पूरी गजल इस मंच पर ही पोस्ट की है, हां! मेरे ब्लाग पर मैंने मतला के साथ असंपादित दो शेर जरूर डाले थे। वाकी के शेर आज जब पूरे कर पाया तो सोचा कि आप सबसे चेक करा लूं। स्नेह सहित अशीषने के लिए आभार, शुक्रिया। सादर—

Comment by atul kushwah on January 27, 2015 at 5:21pm

आदरणीय ​हरि प्रकाश दुबे सर, स्नेह के लिए शुक्रिया आभार। सादर—

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार अच्छी घनाक्षरी रची है. गेयता के लिए अभी और…"
8 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र को परिभाषित करती सुन्दर प्रस्तुतियाँ हैं…"
8 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   दिखती  न  थाह  कहीं, राह  कहीं  और  कोई,…"
8 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी,  रचना की प्रशंसा  के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार|"
9 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी,  घनाक्षरी के विधान  एवं चित्र के अनुरूप हैं चारों पंक्तियाँ| …"
9 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी //नदियों का भिन्न रंग, बहने का भिन्न ढंग, एक शांत एक तेज, दोनों में खो…"
11 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मैं प्रथम तू बाद में,वाद और विवाद में,क्या धरा कुछ  सोचिए,मीन मेख भाव में धार जल की शांत है,या…"
12 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्रोक्त भाव सहित मनहरण घनाक्षरी छंद प्रिय की मनुहार थी, धरा ने श्रृंगार किया, उतरा मधुमास जो,…"
20 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++ कुंभ उनको जाना है, पुन्य जिनको पाना है, लाखों पहुँचे प्रयाग,…"
23 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मंच संचालक , पोस्ट कुछ देर बाद  स्वतः  डिलीट क्यों हो रहा है |"
23 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . जीत - हार

दोहा सप्तक. . . जीत -हार माना जीवन को नहीं, अच्छी लगती हार । संग जीत के हार से, जीवन का शृंगार…See More
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में आपका हार्दिक स्वागत है "
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service