2122 2122 2122 2122
******************************
मन किसी अंधे कुए में नित वफ़ा को ढूँढता है
जबकि तन लेकर हवस को रात दिन बस भागता है
*****
तार कर इज्जत सितारे घूमते बेखौफ होकर
कह रहे सब खुल के वचलना चाँद की भोली खता है
*****
जिंदगी भर यूँ अदावत खूब की तूने सभी से
मौत के पल मिन्नतें कर राह में क्यों रोकता है
****
जाँच को फिर से बिठाओ आँसुओं कोई कमीशन
घाव की मौजूदगी में दर्द कैसे लापता है
*****
आप ने पूछा कि पलकें किस लिए गीली हमेंशा
गम रहे हरदम सलामत अश्क इसको जागता है
*****
मिल ही जाते हैं अजाने लोग अक्सर दोस्तों से
कब मिला पर वो ‘मुसाफिर’ स्वप्न जिसको खोजता है
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
आ० भाई खुर्शीद जी , ग़ज़ल पर उपस्थिति से मन बढ़ने के लिय हार्दिक धन्यवाद .
जाँच को फिर से बिठाओ आँसुओं कोई कमीशन
घाव की मौजूदगी में दर्द कैसे लापता है
आदरणीय लक्ष्मण साहब ,सुन्दर ग़ज़ल हुई है |घाव की मौजूदगी में दर्द लापता होना जांच का विषय है |सादर अभिनन्दन
आ0 भाई गणेश जी, गजल की प्रशंसा और उसमें निहित कमियों से अबगत कराने हेतु आभार । दरअसल नियमों पर पूरी पकड़ नहीं बन पायी है । इसलिए कई बार इस ओर ध्यान नहीं जा पाता । इसके निराकरण के लिए मतले की जगह नया मतला इस प्रकार समझें । क्योंकि मतले में शब्दों का हेरफेर करने से उसका प्रभाव कम होता प्रतीत हो रहा है । बचलना टंकण की त्रुटि है यह शब्द चलना है । अब गजल को इस प्रकार देखें-
लौट कर आना न उसने बात चाहे ये पता है
बाप बूढ़ा रास्ता पर लाल का तो देखता है
मन किसी अंधे कुए में नित वफ़ा को ढूँढता है
जबकि तन लेकर हवस को रात दिन बस भागता है
यदि कोई और समाधान हो तो सुझाएं .....
आ0 भाई रामसिरोमणि जी, उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
आ0 प्रतिभा बहन प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार ।
आदरणीय भाई विजय जी, गजल के अनुमोदन और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
आ0 भाई गोपालनारायन जी, स्नेहाशीष के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
आ0 भाई महर्षि त्रिपाठी जी उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
आ0 भाई हरिप्रकाश जी स्नेहाशीष के लिए हार्दिक आभार ।
आ0 भाई गुमनाम जी , गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online