For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं अपनी मुहब्बत को …

मैं अपनी मुहब्बत को …एक रचना 


मैं अपनी मुहब्बत को इक मोड़ पे छोड़ आया हूँ
इक ज़रा सी ख़ता पे मैं हर क़सम तोड़ आया हूँ


जाने कितने लम्हे मेरी साँसों की ज़िंदगी थे बने
मैं तमाम ख़्वाब उनकी पलकों में छोड़ आया हूँ


जिसकी मौजूदगी  में खामोशी भी बतियाती थी
अब्र की  चिलमन में वो माहताब छोड़ आया हूँ


बन के  हयात  वो हमसे क्यों बेवफाई .कर गए
उनकी  दहलीज़ पे  मैं  हर  आहट छोड़ आया हूँ


हिज्र का  दर्द  चश्मे  सागर में न सिमट पायेगा
कश्ती कागज़ की  मैं  साहिल  पर छोड़ आया हूँ


हर सलवट से बयां गुज़री रात के अफ़साने होंगे
मैं उनके लबों पे महकते अहसास छोड़ आया हूँ

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 697

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on February 9, 2015 at 4:40pm

आदरणीय   Hari Prakash Dubey जी प्रस्तुति पर आपकी नज़र ने रचना को सराहा इसके लिए बन्दे का तहे दिल से शुक्रिया । 

Comment by Hari Prakash Dubey on February 7, 2015 at 11:02pm
आदरणीय सुशील सरना जी ..
मैं अपनी मुहब्बत को इक मोड़ पे छोड़ आया हूँ
इक ज़रा सी ख़ता पे मैं हर क़सम तोड़ आया हूँ.....वाह
जिसकी मौजूदगी में खामोशी भी बतियाती थी
अब्र की चिलमन में वो माहताब छोड़ आया हूँ.......शानदार , हार्दिक बधाई सर ! सादर
Comment by Sushil Sarna on February 7, 2015 at 5:54pm

आदरणीय   Er. Ganesh Jee "Bagi" जी प्रस्तुति पर आपकी नज़र ने रचना को सराहा इसके लिए बन्दे का तहे दिल से शुक्रिया । 

Comment by Sushil Sarna on February 7, 2015 at 5:52pm

आदरणीय  गिरिराज भंडारी जी प्रस्तुति पर आपकी दिलकश तारीफ़  का तहे दिल से शुक्रिया । 

Comment by Sushil Sarna on February 7, 2015 at 5:51pm

आदरणीय   khursheed khairadi जी प्रस्तुति पर आपकी नज़रे- करम  का तहे दिल से शुक्रिया । 

Comment by Sushil Sarna on February 7, 2015 at 5:49pm

आदरणीय सर्वेश कुमार मिश्र जी प्रस्तुति पर आपकी खूबसूरत वाह  का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on February 7, 2015 at 5:48pm

आदरणीय विजय शंकर जी प्रस्तुति पर आपकी स्नेहाशीष  का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on February 7, 2015 at 5:47pm

आदरणीय अजय शर्मा  जी प्रस्तुति पर आपकी ऊर्जावान  प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on February 7, 2015 at 5:46pm

आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया  जी प्रस्तुति पर आपकी मधुर  प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on February 7, 2015 at 5:44pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर  जी प्रस्तुति पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Vikas is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
Monday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी छन्द पर उपस्तिथि और सराहना के लिए हार्दिक आभार आपका। दीपोत्सव की हार्दिक…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service