“मम्मी मैं किटी पार्टी में जा रही हूँ , आप हेमा को कह दो वह विवान को दूध दे देगी ...वैसे भी विवान मेरे पास नहीं उसी के पास रहता है |” अपने लहराते हुए बालों को झटका देते हुए फाल्गुनी ने कहा ||स्टाइल में रहना, फैशनेबल कपड़े पहनना, सहेलियों के बीच अपनी सुन्दरता की प्रशंसा सुनना, यही तो मनपसंद कार्य है फाल्गुनी का | जन्म तो दिया बच्चे को मगर ममता नहीं लुटा पाई |
इसके विपरीत हेमा जो कि अपने से अधिक चिंता करती है घर परिवार की...अपनी जेठानी के पुत्र पर जान से भी अधिक स्नेह लुटाती है मगर किस्मत देखिये...पन्द्रह साल हो गए शादी को किन्तु भगवान् ने उसे अभी तक मातृत्व सुख से वंचित कर रखा है | इलाज भी बहुत करवाया मगर डॉक्टर सिर्फ एक ही बात कहते हैं कि ...सब ईश्वर के हाथ में है |
“माँ मेरा ट्रांसफर हो गया है मुझे और फाल्गुनी को मुंबई शिफ्ट होना होगा |” घर के बड़े बेटे ने अपना फैसला सुना दिया | विवान सहित फाल्गुनी अपने पति के साथ नयी दुनिया बसाने चली गई |
विवान के जाने के बाद हेमा बुझी बुझी सी रहने लगी ..किसी से कुछ बात नहीं करती थी..रह रह कर उसे विवान की याद सताती ..खाना पीना सब छोड़ दिया था उसने |
आज अचानक कपड़े सुखाते समय चक्कर खाकर गिर पड़ी थी हेमा ..डॉक्टर के पास चेकअप के लिए ले जाया गया | डॉक्टर ने हेमा के पति सौरभ को अन्दर बुलवाया |
“ बधाई हो आपको ! आप पिता बनने वाले है...सौरभ को अपने कानो पर भरोसा नहीं हुआ इतनी बड़ी ख़ुशी !!
“थैंक यू डॉक्टर !! मैं बयां नहीं कर सकता आपने मुझे कितनी बड़ी ख़ुशी दी है ..मैं अभी हेमा से मिलता हूँ |” कहकर तुरंत वहाँ से जाने को हुआ |
“अरे सुनिए मि० सौरभ ! ... एक जरुरी बात... डॉक्टर की बात अधूरी छोड़ सौरभ बाहर चला गया |
आज उसके कदम ज़मीन पर नहीं पड़ रहे थे...जल्दी ही हेमा के रूम में पहुँच गया |
वहाँ का दृश्य देख तो वह भोचक्का सा रह गया |पाँच छह नर्सों ने हेमा को पकड़ रखा था ..वह जोर जोर से हँस रही थी .. ..और मारे ख़ुशी के उसकी आँखें फटने सी लगी थी |
“सुनों सब सुनों !! मैं माँ बनूँगी !! मेरा भी बच्चा होगा हा हा हा...|” कहकर अपने बाल खीँच रही थी वह |
इतनी बड़ी ख़ुशी बर्दाश्त नहीं कर सकी थी हेमा | अपना मानसिक संतुलन खो बैठी थी बेचारी | जिस अधूरी आस को पूरा करने के लिए कब से तरस रही थी , आज वो ख़ुशी नसीब तो हुई मगर...इस .ख़ुशी ने एक माँ को, पागल बना दिया !!
(संशोधित)
डिम्पल गौर 'अनन्या '
( मौलिक और अप्रकाशित )
Comment
आदरणीय विजयी शंकर जी बहुत बहुत आभार ...
खुशियों का लम्बा इंतजार ...फिर निराशा ...उसके बाद खुशियाँ दामन में अचानक आ जाएं तो इस तरह की मानसिक स्थिति उत्पन्न होने की सम्भावना को अपने साधारण से शब्दों के माध्यम से व्यक्त करने का छोटा सा प्रयास किया है ...मैंने |
धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी , कथा की सराहना करने के लिए आपका ह्रदय तल से आभार व्यक्त करती हूँ |
प्रस्तुति हेतु बधाई
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