गुनगुन करती थी सदा
वो एक लड़की ..
खिड़की से आती थी नज़र
वो एक लड़की
कभी नाचती गुड़िया संग
कभी लगाती गुलाबी रंग
बाबा के कंधों पर चढ़
दुनिया थी देखती
माँ की बाहों में झुला झूलती
समय उपरान्त
उसी खिड़की में
आई नज़र
वो एक लड़की
ले रंगबिरंगी चुनर
पूरियाँ तलती थी
बाबा को बिस्तर पर सुला
माथा सहलाती
वो एक लड़की...
बहुत दिनों से
बंद थी खिड़की
नहीं आती नजर अब
वो एक लड़की
आज खुली खिड़की और
दिखी वो एक लड़की ?
माथे बिंदिया चमक रही थी
चूड़ियाँ भी खनक रही थी
मगर चेहरा कुछ बुझा सा था
ग़मगीन और उदासीन
दिखी आज
वो एक लड़की...
साल कुछ बीते और..
खिड़की बंद हो गयी
सदा के लिए
नहीं दिखती अब ..
वो चहकती लड़की
क्यूंकि दहेज़ की भेंट
चढ़ चुकी थी
वो एक लड़की...
डिम्पल गौर 'अनन्या '
(मौलिक और अप्रकाशित ).
Comment
आदरणीया डिंपल जी
आपके कविता मार्मिक है i आपको बधाई i
कविता की सराहना करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय डॉ विजय शंकर जी ..
आभार ..सोमेश कुमार जी
धन्यवाद आदरणीय आलोक मित्तल जी |
वो एक लड़की ,हर उस लड़की की बयानी ,जो बचपन में अपने घर पे खेलती -कूदती पलती है और एक दिन - - - - - सुंदर मर्मान्तक भाव -सयोंजन |
बहुत सुंदर आपकी रचना ..हर पहलू को ख़ूबसूरती से कहा है आपने
आप सभी मित्रगणों के स्नेह आशीष और बेहद सुन्दर प्रतिक्रियाओं ने मुझे अभिभूत कर दिया है ..एक रचनाकार के लिए इससे बड़ी ख़ुशी की बात और क्या होगी .| आप सभी आदरणीय गुरुजनों का आशीष यूँ ही मिलता रहे यही अभिलाषा है | एक बार पुनः ह्रदय तल से आभार व्यक्त करती हूँ ..|
आदरणीया जी .मन को उद्देलित कर देने वाली इस रचना के लिए आपको ढेरों बधाई सादर
आदरणीया डिम्पल गौर 'अनन्या ' जी सुन्दर एवम् मार्मिक रचना, एक लड़की की कथा को आपने कविता में खूबसूरती से पिरो दिया , आपको हार्दिक बधाई ,सादर .
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online