For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 दशाश्वमेध घाट पर

कुछ उत्तर आधुनिक भारतीय

कर रहे थे स्नान

शैम्पू और विदेशी साबुन के साथ

 

दूर –दूर तक फैलकर झाग

धो रहा था अमृत का मैल

गंगा ने उझक कर देखा

फिर झुका लिया अपना माथ

 

साक्षी तो तुम भी हो

काशी विश्वनाथ !

 

(मौलिक व्  अप्रकाशित )

 

Views: 790

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 19, 2015 at 12:43pm

प्रिय सोमेश

आपका आभार प्रकट करता हूँ  i सस्नेह i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 19, 2015 at 12:42pm

आ० जीतू भैय्या

आपकी टीप से मन मुदित है i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 19, 2015 at 12:42pm

आ० श्याम नारायन वर्मा जी

आपका सादर आभार i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 19, 2015 at 12:41pm

आ० परी एम् श्लोक  जी

आपकी नेहिल टीप से मन उत्साहित है i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 19, 2015 at 12:40pm

आ० विजय सर !

आपकी विस्तृत टिप्पणी से मन को अपूर्व शांति मिली i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 19, 2015 at 12:39pm

आओ मोहन सेठी जी

आपका आभार व्यक्त  करता हूँ i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 19, 2015 at 12:38pm

आ० खुर्शीद जी

आपके चमक की छाया मुझ पर भी पडी ,अनुग्रहीत हूँ i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 19, 2015 at 12:36pm

सरना जी

आपकी टिप्पणी से अनुगृहीत हुआ i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 19, 2015 at 12:35pm

आ० मिथिलेश वामनकर जी

आपकी संस्तुति  से मेरा विश्वास  स्थिर है i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 19, 2015 at 12:33pm

आओ अनुराग गोयल जी

आपका हृदय से आभारी हूँ  i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service